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4 Jul 2017 · 1 min read

नाक

नाक

” जब तुमसे कह दिया कि नाक छिदवा लो तो समझ में नहीं आता!”, प्रकाश ने परिधि से नाराज़ होते हुए कहा।
” मगर मुझे अपने चेहरे पर नहीं पसंद है! इतने साल बीत गए अब अचानक से क्या हुआ?”, परिधि ने परेशान होकर कहा।
“तुम्हे सीधी बात समझ नहीं आती क्या?”, प्रकाश अब भी गुस्सा था।
“ये भला क्या जिद है! क्या तुम नहीं जानते थे शुरू से कि मुझे नाक छिदवाना नहीं पसंद! तब तो तुमने इस रिश्ते पर और इस बात पर आपत्ति नहीं की!”, समझते हुए परिधि ने कहा।
” तब नहीं थी,मगर अब है। तुम बोलो हाँ या ना!?”, प्रकाश तैश में बोला।
असंमजस में पड़ी परिधि ने पूछा ,” मेरे नाक छिदवाने से तुम्हारा प्यार बढ़ जायेगा क्या?! नहीं छिदवाने पर खत्म हो जायेगा?!”
“हाँ, और अब अगर तुम नाक छिदवाने को तैयार हो तभी बात करना वरना ये रिश्ता खत्म!”, प्रकाश पर समझाने का कोई असर नहीं था।
” यानी ये नाक छिदवाना मेरी इच्छा या अनिच्छा का प्रश्न नहीं है, ये तुम्हारी नाक का सवाल हो गया है”, परिधि ने कहा।
“तो ठीक है प्रकाश, मैं नाक नहीं छिदवा रही, ” गहरी दृढ़ निगाह से देखती परिधि यह कहकर कमरे से बाहर चली गई
Megha rathi

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 1160 Views
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