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18 Oct 2016 · 2 min read

नव निर्माण

योजनाएं बनाएं ,हवाई किले नहीं।
पैर ज़मीं पर पड़ें, हवा में नहीं।।

अगर आसमाँ में उड़ना है,
मज़बूत पंख लगाने होंगे।
अगर आसमाँ को छूना है,
ईर्ष्या,द्वेष मिटाने होंगे।।

बातों से न काम चलेगा,
दृढ़ सख्ती भी अपनानी होगी।
भूले भटके,दिशा भ्रमित को,
सही राह दिखलानी होगी।।
मानवता को द्रवित कर रहे,
उनके उन्माद मिटाने होंगे।

नहीं चलेगी तानाशाही,
लोकतंत्र को लाना होगा।
मठाधीश जो देश खा रहे,
उन्हें धरा पर लाना होगा।।
नई चेतना से जन -जन के,
सारे कष्ट मिटाने होंगे।

चापलूस लोकतंत्र खा रहे,
मक्खन ,तेल लगाने में।
तिकड़मबाज भी लगे हुए हैं,
सत्ता को हथियाने में।।
जन जागरण से इस समाज के,
सारे कोढ़ मिटाने होंगे।

सीमा पर है दाँव लगाए,
नापाक हरकतें करता है।
निर्दोषों को मार रहा और,
बातें मानवता की करता है।।
पी ओ के और काश्मीर से,
दहशतगर्द मिटाने होंगे।

कुछ उनके आक़ा भी यहाँ पर,
नापाक हरकतें करते हैं।
दहशत गर्दो का साथ दे रहे,
गद्दारी देश से करते हैं।।
दहशतगर्द और गद्दारों के,
सारे ठिकाने मिटाने होंगे।

बापू, सुभाष के वंशज हम,
दिल में सबके बिस्मिल रहते।
सरदार,भगत ,आज़ाद हैं सब,
जो मरने से भी नहीं डरते।।
सर पर कफ़न बाँध निकले हम,
सारे गद्दार मिटाने होंगे।

क्यों पंगा हमसे लेते हो,
तुमको अपंग कर डालेंगे।
कश्मीर का राग अलाप रहे,
पूरा पाक हज़म कर डालेंगे।।
जिन टुकड़ों पर तुम ज़िंदा हो,
वे टुकड़े हमें हटाने होंगे।

गद्दार ,देश के वे भी हैं,
चन्द टुकड़ों में बिक जाते हैं।
भारत माता के लालों को,
नाहक यूं ही तड़पाते हैं।।
इन आदमखोर भेड़ियों के,
खूनी दाँत हटाने होंगे।

जो कामचोर और धनलोभी ,
निर्मोही,भ्रष्टाचारी हो।
आओ मिल नेस्तनाबूद करें,
कितना भी अत्याचारी हो।।
जन हित में सदा समर्पित जो,
उनके परचम फहराने होंगे।

हम सजग देश के प्रहरी हैं,
नव भारत के निर्माता हैं।
हर चुनौती है स्वीकार हमें,
हर धर्म निभाना आता है।।
ज्ञानवान,समृद्ध राष्ट्र बन,
सारे संताप मिटाने होंगे।

Language: Hindi
949 Views
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