दिल ग़रीबों से मिलाकर देखिए
ग़ज़ल
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जां वतन पर तुम लुटा कर देखिए
दर्द गैरों का उठा कर देखिए
??
नफरते आतिश लगी है चार सूं
प्यार का दीपक जलाकर देखिए
??
अम्न के साये में हो हर जिंदगी
इक शजर ऐसा लगाकर देखिए
??
इस जहां से मिट चुकी इंसानियत
आदमीयत फिर जगा कर देखिए
??
होगा फिर दीदार जन्नत का तुझे
मां के पग में सिर झुका कर देखिए
??
ये जहेजी रस्म ———-खाये बेटियां
इन रिवाजों को —–मिटा कर देखिए
??
होटों पे मुस्कान—— उनके आएगी
दिल ग़रीबों से ——मिला कर देखिए
??
यार रूठा मान ——- जाए पल मे ही
प्यार का नग़्मा ——-सुना कर देखिए
??
मंजिलें तेरी क़दम बोसी करें
दो क़दम ही तुम बढ़ा कर देखिए
??
है मजा अपना अलग इस इश्क का
तुम निगाहें तो लड़ा कर देखिए
??
चाहते हो गर —–मिले सबकी दुआ
बा अदब खुद को —बनाकर देखिए
??
तेरे कदमों में बिछा दूं दिल सनम
हमको अपना तो बना कर देखिए
??
जो हैं तरसे प्यार को “प्रीतम सदा
दोस्ती उनसे निभा कर देखिए
??
प्रीतम राठौर
श्रावस्ती (उ०प्र०)