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18 Sep 2016 · 1 min read

“तुम कब आओगे” //ग़ज़ल//

बहर 2222 2222 222

हम रोतें बैठे है तेरी यादों में
तड़प रहें है भीगी-भीगी रातों में

तुम हुई हो जबसे ओझल नज़रो से
देख तस्वीर तेरी खोयें है ख्वाबों में

तुमबिन हर तरफ़ ग़मजदा है वो यारा
तुम कब आओगे बैठे है राहों में

दरम्यां सनम मिटा दो क्यों दूर खडे हो
आ करके पास मुझे भर लो बाहों में

मेरी मेहबुबा दिल न जला नजदिक आ
डूब मुझे जाने दे नीली आंखों में

✍दुष्यंत कुमार पटेल”चित्रांश”✍

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