Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2016 · 1 min read

तकरार धूप और एसी की

सर्दी में एसी से छत पर
धूप कहे इतराए।
मेरे तो दीवाने सब
तू यहाँ पड़ा कुम्हलाये।
मेरे कतरे की भी क़ीमत
मुझे देख सब मुस्काये।
पाने मुझे रहें सब आतुर
गर्म वस्त्र से चैन न आये ।
मेरी संगत पाकर उनको
आनन्द ही आनन्द आ जाए
ना निकलू तो देखेँ रस्ता
नभ में टकटकी लगाये

एसी बोला घमंड ये बहना
कुछ दिन ही रह पाये
गर्मी के दिन आने दे
तू किसी से सही ना जाये।
तुझसे ही बचने की खातिर
ये मोटे पर्दे लटकाये ।
बाहर भी निकले गर कोई
पूरा ही ढक कर जाये।
आज तू हंस ले दिन सर्दी के
सब तुझको गले लगायेँ।
तपती गर्मी में मेरे बिन
कोई रह ना पाये

समय समय की बात है
ये समय बदलता जाये।
आज जो तेरे अपने हैं
कल यही मुझे अपनाये

डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
1 Comment · 570 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
लिखना है मुझे वह सब कुछ
लिखना है मुझे वह सब कुछ
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
love or romamce is all about now  a days is only physical in
love or romamce is all about now a days is only physical in
पूर्वार्थ
जिंदगी की धुंध में कुछ भी नुमाया नहीं।
जिंदगी की धुंध में कुछ भी नुमाया नहीं।
Surinder blackpen
माँ नहीं मेरी
माँ नहीं मेरी
Dr fauzia Naseem shad
आ बैठ मेरे पास मन
आ बैठ मेरे पास मन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आरक्षण बनाम आरक्षण / MUSAFIR BAITHA
आरक्षण बनाम आरक्षण / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
कवि रमेशराज
😊काम बिगाड़ू भीड़😊
😊काम बिगाड़ू भीड़😊
*Author प्रणय प्रभात*
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
Bodhisatva kastooriya
2963.*पूर्णिका*
2963.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अपने और पराए
अपने और पराए
Sushil chauhan
सच समझने में चूका तंत्र सारा
सच समझने में चूका तंत्र सारा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
वक्त
वक्त
Ramswaroop Dinkar
मातर मड़ई भाई दूज
मातर मड़ई भाई दूज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
दुःख,दिक्कतें औ दर्द  है अपनी कहानी में,
दुःख,दिक्कतें औ दर्द है अपनी कहानी में,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
माना मन डरपोक है,
माना मन डरपोक है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Dr arun kumar shastri
Dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कदम बढ़ाकर मुड़ना भी आसान कहां था।
कदम बढ़ाकर मुड़ना भी आसान कहां था।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हादसे पैदा कर
हादसे पैदा कर
Shekhar Chandra Mitra
होगा कौन वहाँ कल को
होगा कौन वहाँ कल को
gurudeenverma198
कहां गए (कविता)
कहां गए (कविता)
Akshay patel
**विकास**
**विकास**
Awadhesh Kumar Singh
तिरंगा
तिरंगा
लक्ष्मी सिंह
धूल
धूल
नन्दलाल सुथार "राही"
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
Shivkumar Bilagrami
ग़ज़ल
ग़ज़ल
नितिन पंडित
जय श्रीराम
जय श्रीराम
Indu Singh
*बोले बच्चे माँ तुम्हीं, जग में सबसे नेक【कुंडलिया】*
*बोले बच्चे माँ तुम्हीं, जग में सबसे नेक【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल,
लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जीवन की गाड़ी
जीवन की गाड़ी
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Loading...