होगा कौन वहाँ कल को
होगा कौन वहाँ कल को,जो दर्द कम तेरा करेगा।
अपनी खुशी तुमको देकर, जो दुःख कम तेरा करेगा।।
होगा कौन वहाँ कल को————————।।
कि प्यार तुम हमको करो, कहते नहीं हम ऐसा।
चाहे तुम किसी को चाहो, होगा नहीं वह लेकिन ऐसा।।
जो मानकर तुमको खुशी, जो ख्वाब पूरा तेरा करेगा।
होगा कौन वहाँ कल को ——————————-।।
सींचेगा कौन तुम्हारा चमन,तुमको अपनी इज्जत समझकर।
कौन करेगा तुमको लहूदान, नूर अपना तुमको समझकर।।
जो मानकर तुमको नसीब, रोशन चिराग जो तेरा करेगा।
होगा कौन वहाँ कल को———————–।।
यह झूठ है कहना तुम्हारा, कि तुमसे करता हूँ नफरत।
तारीफ तुम्हारी करता नहीं, करता हूँ मैं तेरी खिलाफत।।
जो ऑंसू- गम पीकर अपने, आबाद घर जो तेरा करेगा।
होगा कौन वहाँ कल को———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)