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23 Dec 2016 · 1 min read

“चलो मोड़ दो एक बार फ़िर”

चलो मोड़ दो एक बार फ़िर
मेरी ज़िंदगी के गीले पन्नों को
बहुत कुछ सोख रखा है इसने
कुछ ख्वाहिशें, कुछ हकीकत
निचोड़ना मुमकिन नहीं है मगर
एक नया पन्ना इंतज़ार में है
शुरूआत ना सही अंत ही सही
कुछ राज , कुछ मात सोखने को
दफ्न हो कुछ और ज़ख्म का दरिया
चलो मोड दो एक बार फ़िर .
…निधि…

Language: Hindi
1 Like · 336 Views
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