चलती जायेगी क्या उम्र भर ज़िन्दगी
चलती जायेगी क्या उम्र भर ज़िन्दगी
और कितना करेगी सफ़र ज़िन्दगी
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मौत सय्याद है फाँस लेगी तुझे
भूल कर भी न जाना उधर ज़िन्दगी
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सांस दर सांस पे जान जाती है अब
तुझको कैसे करें हम बसर ज़िन्दगी
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छोड़ दे फड़फड़ाना तू अब मान जा
काट कर वरना रख दूंगा पर ज़िन्दगी
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एक मुफ़लिस से ली बद्दुआ जब क़मर
बस वहीं से हुई दर ब दर ज़िन्दगी