घूँघट के पार
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नारी के हाथों में सृष्टि की पतवार।
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार।
घर-आँगन रौशन करे सूरज दमदार।
स्नेह, ममता, त्याग की शक्ति रूप सकार ।
बनी दुर्गा, काली लक्ष्मी का अवतार।
नर से प्रबल सदा प्रेरणा का आधार।
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार….. ।
ओढी शिक्षा का चुनर आधुनिक विचार।
घर-बाहर सम्हाले दोधारी तलवार।
तोड़ सारी गुलामी की चार दीवार।
गूँज रही है चाँद पर जिसकी झंकार।
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार…… ।
सेना बनी नित करती दुश्मन पर वार।
देश के रक्षा हित सदा खड़ी तैयार।
फूल सी कोमल बन जाती है अंगार।
दुष्ट दनवो का क्षण में कर दे संहार।
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार……. ।
सजग,सचेत,सबल,शालीनता व्यवहार।
नहीं भूलती धर्म, मर्यादा, संस्कार।
मात दे नियति को बनी ऐसी औजार।
नारी में दिखे ईश्वरीय चमत्कार।
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार…………।
नारी के हाथों में सृष्टि की पतवार,
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार।
????—लक्ष्मी सिंह ?☺