Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2017 · 1 min read

कुकृत्य

“कुकृत्य”
“”””””””””””””

चौराहों से
उठाते हैं……….
कभी रस्ते चलते
उठाते है !
हद कर जाते
वहशी-दरिंदे
जब बच्ची को घर से
उठाते हैं !!
काम-वासना
अपनी जगाकर
मंदिर-मस्जिद से
उठाते हैं !
कभी- कभी
निर्मम हत्यारे………
आँचल से ही
उठाते हैं !!
कभी ले जाते
दूधमुँही बच्ची !
कभी किशोरी
उठाते हैं !!
हैं ये भेड़िये
मांसाहारी !
मांस नोचकर खाते हैं !
कभी मांँ सम्मुख
नारी तो……..
कभी दादी को
उठाते हैं !!
ऐसे कुकृत्य करके भी
खुद को निर्दोष
बनाते हैं !
माफी नहीं है
“दीप” उन्हें !
जो नारी को
उठाते हैं !!!

—————————
डॉ०प्रदीप कुमार “दीप”

Language: Hindi
237 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
स्वयं से सवाल
स्वयं से सवाल
Rajesh
विषय सूची
विषय सूची
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
*
*"हलषष्ठी मैया'*
Shashi kala vyas
पर्यावरण
पर्यावरण
Manu Vashistha
. *प्रगीत*
. *प्रगीत*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
Neeraj Agarwal
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
Ranjeet kumar patre
ये कटेगा
ये कटेगा
शेखर सिंह
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
Umender kumar
*आशाओं के दीप*
*आशाओं के दीप*
Harminder Kaur
Who am I?
Who am I?
Sridevi Sridhar
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
लक्ष्मी सिंह
उस गुरु के प्रति ही श्रद्धानत होना चाहिए जो अंधकार से लड़ना सिखाता है
उस गुरु के प्रति ही श्रद्धानत होना चाहिए जो अंधकार से लड़ना सिखाता है
कवि रमेशराज
#स्मृति_शेष (संस्मरण)
#स्मृति_शेष (संस्मरण)
*Author प्रणय प्रभात*
नादानी
नादानी
Shaily
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
.
.
Ragini Kumari
खद्योत हैं
खद्योत हैं
Sanjay ' शून्य'
-अपनी कैसे चलातें
-अपनी कैसे चलातें
Seema gupta,Alwar
कभी- कभी
कभी- कभी
Harish Chandra Pande
इतिहास
इतिहास
Dr.Priya Soni Khare
सच का सच
सच का सच
डॉ० रोहित कौशिक
हर एक ईट से उम्मीद लगाई जाती है
हर एक ईट से उम्मीद लगाई जाती है
कवि दीपक बवेजा
राम विवाह कि मेहंदी
राम विवाह कि मेहंदी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
" ज़ख़्मीं पंख‌ "
Chunnu Lal Gupta
मानव तेरी जय
मानव तेरी जय
Sandeep Pande
The Sound of Silence
The Sound of Silence
पूर्वार्थ
बेफिक्र अंदाज
बेफिक्र अंदाज
SHAMA PARVEEN
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
गरमी का वरदान है ,फल तरबूज महान (कुंडलिया)
गरमी का वरदान है ,फल तरबूज महान (कुंडलिया)
Ravi Prakash
Loading...