कविता: वो बचपन की यादें
आज फिर याद आई मुझे मेरे गाँव की।
वो बचपन की यादों की वो पीपल की छांव की।।
१.माँ की ममता के आँचल तले,
कितने लाड़ प्यार से हम थे पले।
दादी सुनाती थी परियों की कहानियाँ,
दादा के कंधे बने थे झूले।
वो बारिश का पानी,वो क़ाग़ज़ की नाव की।
आज फिर याद……………….।
२.वो बात-बात पर जिद्द करना,याद आया।
मां का मनाना,लोरियाँ सुनाना याद आया।
वो दोस्तों से लड़कर झगड़कर उनसे कट्टी करना याद आया।
वो गुल्ली डंडा,वो कंचा खेलने के पड़ाव की।
आज फिर याद……………….।
३.वो गुड्डे गुड़ियों की शादी रचाना,
गुड़िया के रूठने पर उसको मनाना।
मिट्टी के खिलौनों की एक दुनिया बसाना,
आज भी याद है मुझे वो बालू के टीले बनाना।
वो बापू के गुस्से पर माँ की ममता की छांव की।
आज फिर याद आई मुझे मेरे गाँव की।
वो बचपन की यादों की वो पीपल की छाँव की।।