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3 May 2017 · 1 min read

आ सजाऊँ भाल पर चंदन तरुण

चेतनामय लोकहित जागो निपुण।
धरणि पर बैकुंठ का हो अवतरण।
राष्ट्र पुलकित कहेगा सम्मान से।
आ सजाऊँ भाल पर चंदन तरुण।
़़़़़़़़़़़़़:़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़

● उक्त मुक्तक को “जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह के द्वितीय संस्करण के अनुसार परिष्कृत किया गया है।

● “जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

बृजेश कुमार नायक
सुभाष नगर ,कोंच
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
03-05-2017

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 854 Views
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