Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2017 · 1 min read

अनोखा गुलाब (“माँ भारती ”)

उपवन में हमने देखा एक अनोखा गुलाब,
उसके रंगों में था, प्रेम – प्यार का शबाब ,
काँटों के मध्य उसमें थी , उमंग बेहिसाब,
सभी को दिया उसने प्यार का बेमिसाल जवाब ,

नादान बार-बार पूछते मुझसे अनोखे गुलाब का नाम ,
गुलाब तले रहकर भी बनते वह बिलकुल अनजान,
ये भी तक न जान पाए “ माँ भारती ” है उसका नाम,
मशाल लेकर करते हैं सिंहनाद “ मेरा भारत महान ”
हमने उसके बच्चों के लिए क्या किया?क्या हमें इसका ज्ञान,
अपने तक ही सीमित रहे तो है “माँ भारती ” का अपमान,

“माँ भारती ” की एक करुण पुकार

“माँ भारती ” की सिसकियों के मध्य एक करुण पुकार ,
“राज” इंसान बनकर दिखा दो तुम ही हो मेरा प्यार दुलार,
तुमसे ही सबकुछ मेरा, अपनी माँ का कर सकते हो उद्धार,
बार-2 क्यों खड़ी करते हो मेरे आँगन में नफ़रत की दीवार ,
टूट चुकी हूँ अब बेटा,तुम ही करा सकते हो मुझे भवसागर पार I

****

देशराज “राज”

Language: Hindi
1119 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जब जब ……
जब जब ……
Rekha Drolia
due to some reason or  excuses we keep busy in our life but
due to some reason or excuses we keep busy in our life but
पूर्वार्थ
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
शिव प्रताप लोधी
कहानी -
कहानी - "सच्चा भक्त"
Dr Tabassum Jahan
समंदर
समंदर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
मातृभूमि
मातृभूमि
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो निरंतर चलता रहता है,
वो निरंतर चलता रहता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
भारत अपना देश
भारत अपना देश
प्रदीप कुमार गुप्ता
अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
Arvina
हिज़्र
हिज़्र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
आत्मविश्वास ही हमें शीर्ष पर है पहुंचाती... (काव्य)
आत्मविश्वास ही हमें शीर्ष पर है पहुंचाती... (काव्य)
AMRESH KUMAR VERMA
प्यार जताना नहीं आता मुझे
प्यार जताना नहीं आता मुझे
MEENU
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
जो पड़ते हैं प्रेम में...
जो पड़ते हैं प्रेम में...
लक्ष्मी सिंह
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
Sahil Ahmad
सत्य
सत्य
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
"कबड्डी"
Dr. Kishan tandon kranti
23/158.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/158.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कविता
कविता
Rambali Mishra
होते फागुन हम अगर, बसता हम में फाग (कुंडलिया)*
होते फागुन हम अगर, बसता हम में फाग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
5 हाइकु
5 हाइकु
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
एक ऐसा दोस्त
एक ऐसा दोस्त
Vandna Thakur
बेरहम जिन्दगी के कई रंग है ।
बेरहम जिन्दगी के कई रंग है ।
Ashwini sharma
बेटियाँ
बेटियाँ
विजय कुमार अग्रवाल
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मातृशक्ति को नमन
मातृशक्ति को नमन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ओ गौरैया,बाल गीत
ओ गौरैया,बाल गीत
Mohan Pandey
भार्या
भार्या
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
Sakshi Tripathi
Loading...