Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2017 · 1 min read

वायुसंगिनी – एक त्याग एक अभिमान

कई बरस पहले
उड़ते देखा था, मशीनी परिंदों को,
उस नीले आसमां में
यूं कलाबाज़ियाँ करते, उलटते ,पलटते
वो तेज गड़गड़ाहट,
जो बस जाते कानों में
और ये परिंदे
चंद पलों में आँखों से ओझल हो जाते
सोचती थी, कौन होगा ? कैसा होगा ?
वो इंसान, उस लड़ाकू विमान में ।

क्या पता था कि,
किस्मत मुझे ले आएगी, उसी परिंदे के पास
इक डोर जुड़ जाएगी इस परिंदे से
वो आवाज़ जो बचपन से सुनी
बन जाएगी मेरे जीवन का अंश
वो आसमां का बासिन्दा
बन जाएगा मेरा सर्वांश।

भोर की पहली किरण के साथ
निकल पड़ते हैं आशियाने से
कर्म करने
स्क्वाड्रन के लिए,
हर सुबह हो जैसे
तैयारी रण की
निकलती है टोलियाँ इन परिंदों की
अपने अभियान पर
एयर डिफ़ेंस , स्ट्राइक मिशन ,
एयर कॉमबैट , इंटर्डिकशन
जाने क्या नाम ,जाने क्या काम !
इन्हीं अभियानों में सुबह से लेकर शाम
जिंदगी की चहल पहल से दूर
अपनी ही धुन में मस्त
आसमानी जिंदगी ।

चाँदनी रातों में अक्सर तन्हा होते हम
जज़्बातों में, ख्वाबों में,
तसवीरों में, ख्यालों में
अकेले गढ़ते सपने हम,
अधूरी ख्वाहिशें , अधूरे हम

पर !
उन पूनम रातों में
चाँदनी की लहरों पे सवार
ये परिंदे
गढ़ते युद्ध-कौशल।

लौट के घर आने पर
उनींदी आँखों से देख खिलता चेहरा इनका
रात की तपिश हो जाती गुम
इस अभिमान में कि
हम भी हैं साथ देश की रक्षा में
वायु-संगिनी बन कर ।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 352 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"बहुत दिनों से"
Dr. Kishan tandon kranti
बारिश
बारिश
Sushil chauhan
जिन्दगी
जिन्दगी
Ashwini sharma
जो दूरियां हैं दिल की छिपाओगे कब तलक।
जो दूरियां हैं दिल की छिपाओगे कब तलक।
सत्य कुमार प्रेमी
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जाते हैं संसार से, जब सब मानव छोड़ (कुंडलिया)
जाते हैं संसार से, जब सब मानव छोड़ (कुंडलिया)
Ravi Prakash
सुकून ए दिल का वह मंज़र नहीं होने देते। जिसकी ख्वाहिश है, मयस्सर नहीं होने देते।।
सुकून ए दिल का वह मंज़र नहीं होने देते। जिसकी ख्वाहिश है, मयस्सर नहीं होने देते।।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
युवराज की बारात
युवराज की बारात
*Author प्रणय प्रभात*
शहनाई की सिसकियां
शहनाई की सिसकियां
Shekhar Chandra Mitra
नेता जी
नेता जी
Sanjay ' शून्य'
प्रकृति सुर और संगीत
प्रकृति सुर और संगीत
Ritu Asooja
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
हरवंश हृदय
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
Mahender Singh
यह जीवन अनमोल रे
यह जीवन अनमोल रे
विजय कुमार अग्रवाल
मेरा प्यारा भाई
मेरा प्यारा भाई
Neeraj Agarwal
शिद्दत से की गई मोहब्बत
शिद्दत से की गई मोहब्बत
Harminder Kaur
// होली में ......
// होली में ......
Chinta netam " मन "
होते वो जो हमारे पास ,
होते वो जो हमारे पास ,
श्याम सिंह बिष्ट
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
2805. *पूर्णिका*
2805. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
कवि दीपक बवेजा
ऐ मां वो गुज़रा जमाना याद आता है।
ऐ मां वो गुज़रा जमाना याद आता है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
बुढ़ाते बालों के पक्ष में / MUSAFIR BAITHA
बुढ़ाते बालों के पक्ष में / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
तुम्हारे हमारे एहसासात की है
तुम्हारे हमारे एहसासात की है
Dr fauzia Naseem shad
शुरुआत
शुरुआत
Er. Sanjay Shrivastava
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
यदि आप किसी काम को वक्त देंगे तो वह काम एक दिन आपका वक्त नही
यदि आप किसी काम को वक्त देंगे तो वह काम एक दिन आपका वक्त नही
Rj Anand Prajapati
दिव्यांग वीर सिपाही की व्यथा
दिव्यांग वीर सिपाही की व्यथा
लक्ष्मी सिंह
Remembering that winter Night
Remembering that winter Night
Bidyadhar Mantry
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
शेखर सिंह
Loading...