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6 Oct 2016 · 1 min read

मेरा ठिकाना -६—मुक्तक—डी. के. निवातियाँ

हर किसी का होता है जहान में एक ठिकाना
राहे भले हो जुदा-जुदा मंजिल सभी को पाना
उम्र बिता देता है हर कोई ये पहेली बुझाने में
ना जान पाता कोई कि कहाँ है मेरा ठिकाना !!
!
!
!
@_____डी. के. निवातियाँ ____@

Language: Hindi
4 Comments · 314 Views
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