Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2022 · 1 min read

जीवन

साँसों का संसार है जीवन
इक दूजे से प्यार है जीवन
जो इंसा से इंसा बाँटें
वो तो इक दीवार है जीवन
दुख आये तो लोग कहें ये
मेरा तो बेकार है जीवन
मौत शून्य है जिसके पीछे
रूप एक साकार है जीवन
सौदेबाजी जिसकी फ़ितरत
उसको तो व्यापार है जीवन
रोज नया सबका लिखता है
एक कहानीकार है जीवन
देह महज़ तो इक पुतला है
प्राणों का आधार है जीवन

Language: Hindi
3 Likes · 357 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahendra Narayan
View all
You may also like:
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
Neeraj Agarwal
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
कलश चांदनी सिर पर छाया
कलश चांदनी सिर पर छाया
Suryakant Dwivedi
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
Shivkumar barman
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा,
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा,
goutam shaw
आप की असफलता में पहले आ शब्द लगा हुआ है जिसका विस्तृत अर्थ ह
आप की असफलता में पहले आ शब्द लगा हुआ है जिसका विस्तृत अर्थ ह
Rj Anand Prajapati
"गुल्लक"
Dr. Kishan tandon kranti
सब व्यस्त हैं जानवर और जातिवाद बचाने में
सब व्यस्त हैं जानवर और जातिवाद बचाने में
अर्चना मुकेश मेहता
ज़िंदगी को
ज़िंदगी को
Sangeeta Beniwal
लड़कियां क्रीम पाउडर लगाकर खुद तो गोरी हो जाएंगी
लड़कियां क्रीम पाउडर लगाकर खुद तो गोरी हो जाएंगी
शेखर सिंह
बचपन
बचपन
Kanchan Khanna
"मैं मजाक हूँ "
भरत कुमार सोलंकी
ग़ज़ल _ महकती जब ये मिट्टी प्यार की नींदें उड़ाती है ,
ग़ज़ल _ महकती जब ये मिट्टी प्यार की नींदें उड़ाती है ,
Neelofar Khan
नया साल
नया साल
umesh mehra
“ जीवन साथी”
“ जीवन साथी”
DrLakshman Jha Parimal
आचार्य शुक्ल के उच्च काव्य-लक्षण
आचार्य शुक्ल के उच्च काव्य-लक्षण
कवि रमेशराज
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
सोना बन..., रे आलू..!
सोना बन..., रे आलू..!
पंकज परिंदा
बहुत दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों
बहुत दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों
Shweta Soni
Ranjeet Kumar Shukla - Hajipur
Ranjeet Kumar Shukla - Hajipur
हाजीपुर
समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, कुछ समय शोध में और कुछ समय
समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, कुछ समय शोध में और कुछ समय
Ravikesh Jha
*रिश्ते*
*रिश्ते*
Ram Krishan Rastogi
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
4630.*पूर्णिका*
4630.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
🙅पहचान🙅
🙅पहचान🙅
*प्रणय*
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
ये ज़िंदगी तुम्हारी है...
ये ज़िंदगी तुम्हारी है...
Ajit Kumar "Karn"
मैं चाहता था  तुम्हें
मैं चाहता था तुम्हें
sushil sarna
निकलो…
निकलो…
Rekha Drolia
Loading...