××अप्रैल फुल××
अप्रैल फुल
//दिनेश एल० “जैहिंद”
विट्टू एक दस वर्षीय बालक था | वह पाँचवी कक्षा में गाँव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ता था | माँ-बाप का एकलौता बेटा होने के कारण उनकी तरफ से
उस पर कोई खास दबाव नहीं था | परिणामत: वह थोड़ा शरारती व उदंड किस्म का बालक हो गया था
| यद्यपि वह पढ़ने में तेज था, परन्तु वह अपनी शरारतों से बाज नहीं आता था | आए दिन वह कोई
-न-कोई शरारत करते रहता था और हर दिन उसके माँ-बाप उसकी शिकायतें सुन-सुनकर तंग आ चुके
थे | उसको लाख समझाते-बुझाते परन्तु उस पर कोई असर नहीं पड़ता था |
राह चलते अपने सहपाठियों को लंगड़ी मार देना,
उनको मारकर छुप जाना, उनके बस्ते छुपा देना,
कोई सामान लेकर परेशान करना और बाद में वापस दे देना, कॉपी या किताब फेंक देना, खेल में
गलगोजई व बेईमानी करना, कुछ उल्टा-शुल्टा कहकर बच्चों को तंग करना, अपने से छोटे बच्चों को मारना व बड़े बच्चों से भिड़ जाना उसके लिए आम बात बन गई थी |
स्कूल के शिक्षक भी उसकी शिकायतें सुन-सुनकर
परेशान थे | कई बार शिक्षकों से पीटने के पश्चात भी वह सुधरने का नाम नहीं ले रहा था | स्कूल से
नाम काटकर निष्कासित कर देने की धमकी के बावजूद भी वह न डरता था और न अपनी शैता -नियों से बाज आता था | हद तो इतनी हो गई थी कि कभी-कभी वह शिक्षकों तक को दूर से चिढ़ा देता था या कुछ व्यंग्य कस डालता था |
उसकी इन बदमाशियों व शैतानियों से तंग आकर
सारे छात्र भी विट्टू से बदला लेने की या उसे सबक सीखाने की फिक्र में लगे रहते थे | कई होशियार बच्चों ने कोशिश भी की थी पर उन्हें सफलता नहीं
मिल पायी थी |
विट्टू के सहपाठियों में एक छात्र था – शिवम |
वह बहुत होशियार, पर सीधा व सरल बालक था |
उसने एक दो-बार उसे समझाने की पहल की थी और गलत व बुरी राह छोड़कर अच्छा बालक बनने की सलाह दी थी, परन्तु फिर भी विट्टू बदमाशी का रास्ता नहीं छोड़ पाया था और निरंतर उसी राह
पर चलता रहा |
एक बार शिवम एक खतरनाक प्लान बनाया और
इस प्लान में अपने कुछ सहपाठियों को भी शामिल कर लिया | और कुछ को हिदायत दी कि उसे सच्चाई से अवगत नहीं कराएं |
उस दिन सोमवार का दिन था | नगद पहली अप्रैल भी थी | शिवम विट्टू को बड़ा मूर्ख बनाने के प्लान
के अन्तर्गत एक भारी चोट देने की योजना रखी |
और सोचा कि कहीं इस घटना के बाद विट्टू के दिल को धक्का लगे और आगे से वह सुधर जाए |
प्लान के मुताबिक जैसे ही स्कूल की टिफिन की घंटी बजी और सारे लड़के स्कूल से बाहर निकले कि उसके पड़ोस के दो लड़के और दो-तीन लड़के
क्लास के ही दौड़े-दौड़े उसके पास आए और हाँफते हुए कहा – “तुम्हारे घर की छत से तुम्हारी माँ गिर गई है, उनकी एक टाँग टूट गई और वे बेहोश पड़ी है |”
इतना सुनते ही विट्टू अवाक हो गया | वह सारी सुध-बुध भूलकर बेतहाशा घर की ओर भागा | उसके साथ शेष बच्चे भी भागे-भागे आए | विट्टू
“माँ-माँ” चिल्लाते हुए द्वार तक आया | द्वार सूना -सूना था | पुन: “माँ-माँ” चिल्लाते हुए आँगन में घुसा | आँगन में देखा कि उसकी माँ किसी काम में लगी हुई है | वह कुछ थोड़ा शांत हुआ और अपने पड़ोसी व सहपाठी मित्रों को देखने लगा |
लेकिन वे सब हँस रहे थे | किसी ने कहा – “आज ‘अप्रैल फुल’ है | तुम्हें हम सबों ने मूर्ख बनाया |”
….. पर इतना बड़ा मजाक ?
“सब चलता है | तू भी तो हम सबों को हमेशा तंग करता है और बेवकूफ बनाता है |”
“…. इसलिए आज हमने तुझे बेवकूफ बनाया | शुभम ने कहा |
यह सुनकर विट्टू के दिल को सदमा लगा और वह कुछ सोचने लगा | कुछ समय बाद सब समान्य हो गया | स्कूली बच्चे विट्टू के ही संग स्कूल गये |
रास्ते भर विट्टू चुप रहा |
आगे चलकर विट्टू धीरे-धीरे अपनी शैतानियों और बदमाशियों से तौबा कर ली और एक नेक बालक बनेने की मन में ठानी |
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दिनेश एल० “जैहिंद”
01. 04. 2019