बलि और वामन, राधे श्यामी छंद
वो कौन थी जो बारिश में भींग रही थी
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
लुटा दी सब दौलत, पर मुस्कान बाकी है,
महाकवि विद्यापति आ महारानी लखिमा देवी: प्रेम प्रसंग!
जख्म वह तो भर भी जाएंगे जो बाहर से दिखते हैं
"समझदार लोग किसी की ईंट के बदले पत्थर नहीं फेंकते। ईंटों को
बुद्ध रूप में गुरू बन गये
हर इंसान को भीतर से थोड़ा सा किसान होना चाहिए
खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
पंखो सी हलकी मुस्कान तुम्हारी ,