We want justice ♎⚖️
फिर से एक रात हुई और फिर से एक सुबह आई,
उस सुबह के साथ फिर से एक और लड़की की लाश आई।
बात कुछ बदली नहीं निर्भया की तरह एक और लड़की की बेकदर मौत की खबर आई,
फिर भी इन भेड़ियों को शर्म नहीं आई।
एक बाप ने अपनी लाडली खोई तो एक मां ने अपनी साथी,
रोती रही मां अपनी बेटी को एक बार देखने को
फिर भी किसी को उसकी ममता पर तरस नहीं आई।
कैसे उड़ेंगी लड़कियां , कैसे बनाएंगी वह अपने सपनों का घोंसला,
जब उसके आसपास के लोग तोड़ने बैठे हैं उसका हौसला।
अपनी हवस के लिए एक लड़की की इज्जत उतारी ,
तो कई बार किसी बहन बेटी पर गलत नजर डली।
लड़कियों को बोला जाता है तुम्हारा बाहर जाना ठीक नहीं है,
काश
लड़कों को बात सिखाई जाति की रात में कोई लड़की दिखे तो उसे पर गंदी नजर ना डालकर इंसानियत के नाते उसे घर तक सही सलामत छोड़के आने की
लड़कियों को बोला जाता है सूट पहना करो क्रॉप टॉप नहीं,
काश लड़कों को सिखाया जाता की कपड़े चाहे लड़की के जैसे भी है उसे पर गंदी नजर डालने का नहीं।
सबूत खत्म कर देते हैं सब , कोशिश की जाती है बात दबाने की,
काश कोशिश की जाती उन हैवानो की दरिंदगी सबके सामने लाने की।
काश कोशिश की जाती सब लड़कियों को इंसाफ दिलाने की
देश की आजादी की बात करते हैं,
पर किस देश के आजाद होने की बात करते हैं , जहां लड़कियों को पांव की जूती समझते हैं??
काश बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की सिर्फ बात नहीं करते
काश सब बेटियों को असल महीना में बचाने के लिए कुछ तो करते ।
बात करते हैं सब कानून बदलने की,
जहां उजड़ रही हो इज्जत सरेआम लड़की की
काश सिर्फ बात ना की जाती उन लड़कों को ठोकने की,
काश बात की जाती उन लड़कों के दिमाग से हवास की भूख के कीड़े निकालने की
काश बात की जाती है उनको रावण से राम बनाने की
– Prachi Verma