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20 Oct 2023 · 1 min read

Wakt hi wakt ko batt raha,

Wakt hi wakt ko batt raha,
Chand hisso me khushiya,
To kbhi udasi alap raha .
Ye wakt hi hai jisne kisse bnaye,
Fir gahri khamoshi se unhe jhak raha.
Wakt hi wakt ko batt raha,
Kbhi yado ke guldaste sajaye,
To kbhi unhi fulo ko kat raha.
Ye wakt hi hai jo beet raha hai,
Ye wakt hi hai jo khud ko
Kheech raha hai,
Kbhi ujala dikhaya tha jisne,
Aaj adhero se khud ko seech raha hai.
Wakt hi wakt ko batt raha,
Ek din mere bhi hisse bhi ayega ,
Ye mujhse kah ke muskura raha.

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