विवेक जोशी ”जोश”
लेखन मेरे जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है। जब भी जीवन में कोई उथल पुथल हुई, उल्लास हुआ, मन उदास हुआ, या फिर यूं ही किसी भी भाव में रहा, मैं हमेशा लिखने बैठा। लेखन को एक गति और आयाम मिला जब प्रतिष्ठित लेखकों,कवियों, गीतकारों को पढ़ना सुनना शुरू किया। तत्पश्चात भाषा पर नियंत्रण और अभिव्यक्ति का अंदाज प्राकृतिक रूप से लेखनी में झलकने लगा। लेखन में आज तक गुरु का सानिध्य प्राप्त नहीं हुआ। जिनको पढ़ा उन्हें ही गुरु मानकर अपनी लेखनी में सुधार किया। जानकार गुणिजनों और पाठकों से समय समय पर जो भी सुझाव या टिप्पणियां मिली उनको आत्मसात किया। अपने अंदाज में लिखना मुझे बेहद पसंद है। हिंदी और आंशिक उर्दू में कई गज़लें , हिंदी कविताएं, क्षणिकाएं, लघु कहानियां , अभिव्यक्ति के मेरे कुछ पसंदीदा माध्यम हैं। अमर उजाला काव्य में प्रकाशित कृतियां और उत्तराखंड काव्यश्री सम्मान २०२० ने मेरी लेखनी को मान दिया। मैं कृतज्ञ हूं !!नतमस्तक हूं!! मां सरस्वती की कृपा और उनके स्नेह का ऋणी हूं। अपना कीमती समय देकर मेरी रचनाओं को पढ़ने और पसंद करने के लिए मैं सभी पाठकों का आभार व्यक्त करता हूं!!
लिखना मेरे लिए महज़ एक शौक नहीं है अपितु अभिव्यक्ति, चिंतन और चिकित्सा भी है। मन के विचार कागज़ पर उतरते ही जो भारहीन महसूस करता हूं वो मेरे लिए किसी योग साधना से कम नहीं। बस अपनी बात अपने आस पास के सुनने वालों को सुना लेता हूं और यदि कोई प्रशंसा करता है तो लगता है कि किसी के हृदय तक तो पहुंचा। ये एहसास बहुत मायने रखता है मेरे लिए।
आभार:
* विश्व हिंदी रचनाकार मंच, उत्तराखंड कव्यश्री सम्मान 2020
* अमर उजाला काव्य डिजिटल द्वारा स्वीकृत रचनाएं
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