8 Followers 11 Following Follow Share Share Facebook Twitter WhatsApp Copy link to share Copy Link copied! Report Profile _सुलेखा. Joined April 2023 1228 words · 6033 views Books 0 Publish Book _सुलेखा. has not yet published any book on Sahityapedia. Posts 14 View all Write Quote Write Post अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह _सुलेखा. रूसवाइयांँ¹ मिलेगी, बे_क़दर, बे_नूर हो जाओगे, _सुलेखा. उदासियाँ भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं _सुलेखा. उदासियाँ भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं _सुलेखा. जिधर भी देखो , हर तरफ़ झमेले ही झमेले है, _सुलेखा. जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा, _सुलेखा. बेरूख़ी के मार से गुलिस्ताँ बंजर होते गए, _सुलेखा. यहाँ किसे , किसका ,कितना भला चाहिए ? _सुलेखा. यहाँ किसे , किसका ,कितना भला चाहिए ? _सुलेखा. हर शय¹ की अहमियत होती है अपनी-अपनी जगह _सुलेखा. More options Post Tags Summary Activity