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9 May 2023 · 1 min read

Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,

Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Terki Be kitab me band hai ,tufano se bheed jane ki.
Wakt ki pahlu ka rukh mod to kare koi ,
Jidd bahut h, khahish bus mutthi bhar dane ki.
Kbhi shikayat ke lahje me hum hi palat gaye,
Kbhi bojh tale samaj ke hum hi dab gaye,
Na mitaya khud ki hasti , na ujagar hone diya,
Khud ke rahasya may duniya me, kaid hokar rah gaye.

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