Tag: Quote Writer
18k
posts
हम गुलामी मेरे रसूल की उम्र भर करेंगे।
Phool gufran
मैंने देखा है मेरी मां को रात भर रोते ।
Phool gufran
धन, दौलत, यशगान में, समझा जिसे अमीर।
Suryakant Dwivedi
तस्वीर से निकलकर कौन आता है
Manoj Mahato
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
Paras Nath Jha
It is what it is
पूर्वार्थ
"इंसाफ का तराजू"
Dr. Kishan tandon kranti
"शायद"
Dr. Kishan tandon kranti
"कला"
Dr. Kishan tandon kranti
"कौन बता सकता?"
Dr. Kishan tandon kranti
" वो "
Dr. Kishan tandon kranti
3590.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
🥀प्रेम 🥀
Swara Kumari arya
3589.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
3588.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हर तरफ भीड़ है , भीड़ ही भीड़ है ,
Neelofar Khan
3587.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
क्षणिका :
sushil sarna
कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग
Ashwini sharma
जिंदगी में पीछे देखोगे तो 'अनुभव' मिलेगा,
Shubham Pandey (S P)
हम दोनों यूं धूप में निकले ही थे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रूठना और भी खूबसूरत हो जाता है
पूर्वार्थ
मैं चाहता था कोई ऐसी गिरफ्त हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वो खफा है ना जाने किसी बात पर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*वह महासमर का नायक है, जो दुश्मन से टकराता है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
खैरात बांटने वाला भी ख़ुद भिखारी बन जाता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इतने failures के बाद भी अगर तुमने हार नहीं मानी है न,
पूर्वार्थ
3586.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*सोचो वह याद करो शिक्षक, जिससे थे कभी गढ़े हम थे (राधेश्यामी
Ravi Prakash
इजहार करने के वो नए नए पैंतरे अपनाता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चापलूसों और जासूसों की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
Rj Anand Prajapati
*आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
रातों में नींद तो दिन में सपने देखे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मौत से अपनी यारी तो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कौन कहता है ये ज़िंदगी बस चार दिनों की मेहमान है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*मॉं से बढ़कर शुभचिंतक इस, दुनिया में कोई मिला नहीं (राधेश्य
Ravi Prakash
*आओ देखो नव-भारत में, भारत की भाषा बोल रही (राधेश्यामी छंद)*
Ravi Prakash
कभी कभी जिंदगी
Mamta Rani
उस मुहल्ले में फिर इक रोज़ बारिश आई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कोई एहसान उतार रही थी मेरी आंखें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लड़कियां बड़ी मासूम होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सौदा हुआ था उसके होठों पर मुस्कुराहट बनी रहे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कूच-ए-इश्क़ से निकाला गया वो परवाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ना जाने यूं इश्क़ में एक ही शौक़ पलता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लोगों के दिलों में,
नेताम आर सी
🙅जय जय🙅
*प्रणय प्रभात*