Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Tag: राधेश्यामी छंद
28 posts
*वह भाग्यहीन हैं महिलाऍं, पति की चेरी कहलाती हैं (राधेश्यामी
*वह भाग्यहीन हैं महिलाऍं, पति की चेरी कहलाती हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*अपनी मस्ती में जो जीता, दुख उसे भला क्या तोड़ेगा (राधेश्याम
*अपनी मस्ती में जो जीता, दुख उसे भला क्या तोड़ेगा (राधेश्याम
Ravi Prakash
*यह समय घोर कलयुग का है, सोचो तो यह युग कैसा है (राधेश्यामी
*यह समय घोर कलयुग का है, सोचो तो यह युग कैसा है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*अच्छी बातें जो सीखी हैं, ऋषि-मुनियों की बतलाई हैं (राधेश्या
*अच्छी बातें जो सीखी हैं, ऋषि-मुनियों की बतलाई हैं (राधेश्या
Ravi Prakash
*ऋषि दयानंद युग-पुरुष हुए, उनको हम शीश झुकाते हैं (राधेश्याम
*ऋषि दयानंद युग-पुरुष हुए, उनको हम शीश झुकाते हैं (राधेश्याम
Ravi Prakash
*हिंदू कहने में गर्व करो, यह ऋषियों का पावन झरना (राधेश्यामी
*हिंदू कहने में गर्व करो, यह ऋषियों का पावन झरना (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*फल कभी-कभी मिलता तुरंत, तो कभी समय लग जाता है (राधेश्यामी छ
*फल कभी-कभी मिलता तुरंत, तो कभी समय लग जाता है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
*मन में शुचिता लेकर पूजो, विद्या की देवी माता को (राधेश्यामी
*मन में शुचिता लेकर पूजो, विद्या की देवी माता को (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*जो मिले भाग्य से जीवन में, वरदान समझ कर स्वीकारो (राधेश्याम
*जो मिले भाग्य से जीवन में, वरदान समझ कर स्वीकारो (राधेश्याम
Ravi Prakash
*ईमानदार सच्चा सेवक, जनसेवा कर पछताता है (राधेश्यामी छंद)*
*ईमानदार सच्चा सेवक, जनसेवा कर पछताता है (राधेश्यामी छंद)*
Ravi Prakash
*शत-शत जटायु का वंदन है, जो रावण से जा टकराया (राधेश्यामी छं
*शत-शत जटायु का वंदन है, जो रावण से जा टकराया (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*अपनी धरती छह ऋतुओं की, इसकी हर छटा निराली है (राधेश्यामी छं
*अपनी धरती छह ऋतुओं की, इसकी हर छटा निराली है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
*जीवन-आनंद इसी में है, तन से न कभी लाचारी हो (राधेश्यामी छंद
*जीवन-आनंद इसी में है, तन से न कभी लाचारी हो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
*गीता में केशव बतलाते, यह तथ्य नहीं आत्मा मरती (राधेश्यामी छ
*गीता में केशव बतलाते, यह तथ्य नहीं आत्मा मरती (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
*जीवन-सौभाग्य मिला उनको, जिनको पावन परिवार मिला (राधेश्यामी
*जीवन-सौभाग्य मिला उनको, जिनको पावन परिवार मिला (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*मरने से क्यों डरते हो तुम, यह तन नश्वर है माया है (राधेश्या
*मरने से क्यों डरते हो तुम, यह तन नश्वर है माया है (राधेश्या
Ravi Prakash
*जब युद्धभूमि में अर्जुन को, कायरपन ने आ घेरा था (राधेश्यामी
*जब युद्धभूमि में अर्जुन को, कायरपन ने आ घेरा था (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्
*अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्
Ravi Prakash
*लिखता है अपना भाग्य स्वयं, मानव खुद भाग्य विधाता है (राधेश्
*लिखता है अपना भाग्य स्वयं, मानव खुद भाग्य विधाता है (राधेश्
Ravi Prakash
*वह महासमर का नायक है, जो दुश्मन से टकराता है (राधेश्यामी छं
*वह महासमर का नायक है, जो दुश्मन से टकराता है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*सोचो वह याद करो शिक्षक, जिससे थे कभी गढ़े हम थे (राधेश्यामी
*सोचो वह याद करो शिक्षक, जिससे थे कभी गढ़े हम थे (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो (राधेश्यामी छंद
*आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
*मॉं से बढ़कर शुभचिंतक इस, दुनिया में कोई मिला नहीं (राधेश्य
*मॉं से बढ़कर शुभचिंतक इस, दुनिया में कोई मिला नहीं (राधेश्य
Ravi Prakash
*आओ देखो नव-भारत में, भारत की भाषा बोल रही (राधेश्यामी छंद)*
*आओ देखो नव-भारत में, भारत की भाषा बोल रही (राधेश्यामी छंद)*
Ravi Prakash
*जीवन में जो पाया जिसने, उस से संतुष्टि न पाता है (राधेश्याम
*जीवन में जो पाया जिसने, उस से संतुष्टि न पाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
*काले-काले मेघों ने ज्यों, नभ का सुंदर श्रृंगार किया (राधेश्
*काले-काले मेघों ने ज्यों, नभ का सुंदर श्रृंगार किया (राधेश्
Ravi Prakash
Loading...