Posts Tag: रजकण 22 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 23 Oct 2025 · 1 min read स्नेह आधार ///सनेह आधार/// युग युग से आदर्शों का, उज्जवल पथ दिखलाने। बह रही मां पावन गंगा, जीवन का उद्देश्य सिखाने।। उद्गम लघु लघु सा जिसका, किंतु मिलन विस्तीर्ण अपार। उद्गम में... Hindi · कविता · रजकण 33 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 9 Sep 2025 · 1 min read जय भारत जननी पावनी ///जय भारत जननी पावनी/// जय भारत जननी पावनी, सदा रही शौर्य ज्ञान समृद्ध। म्लेच्छों को मृत्य भूमि यह, उच्च मूल्यों से रही आबद्ध।। भारत जननी के पुत्र सुमेधा, जिनका जीवन... Hindi · कविता · रजकण 40 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 30 Aug 2025 · 2 min read नमन भरत भूमि को ///नमन भरत भूमि को/// अनंत ब्रह्मांडों के महापुंज में, अपना सौर मंडल निराला है। नवग्रह भरा परिसर जिसका, परिक्रमा रत उपग्रह माला है।। इन्हीं ग्रहों में धरती माता का, वैभव... Hindi · कविता · रजकण 1 59 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 18 Aug 2025 · 1 min read हिंदी से प्रीत हिंदी से प्रीत हिंदी से जब प्रीत लगाई, खुल गए प्रज्ञा चक्षु सारे। ये सरल जगमोहनी भाषा, हृदय तल में उतरे हमारे।। अक्षर अक्षर जिसका मंत्र , शब्द शब्द हैं... Hindi · कविता · रजकण 1 71 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 1 May 2025 · 1 min read धरणी विधान ///धरणी विधान/// सुमन पल्लवों से पूरित धरणी, सर्व-द धरा के सुफल विधान। विटप विटप भ्रमरों का अंजन, करती भू मृदुल दृगो से अनजान।। परिपूरित खग मृग वृंद वाटिका, उन पर... Hindi · कविता · रजकण 114 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 20 Apr 2025 · 2 min read तुम जगत जननी [20/04, 5:13 am] dr rk sonwane: ///तुम जगत जननी///एक तुमसे ही पोषित सकल संसार, तुम हो अमित सुधा का सार। वंदन करते हैं सब देव तुम्हारा, पूजन करते हैं साधक... Hindi · कविता · रजकण 111 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 18 Apr 2025 · 1 min read ऊषा ///उषा/// नील गगन में रवि उदित होता, ज्योति जगा हरने तम की कारा को। प्राची से उषा आती हम तक, करने वितरित गंगा की धारा को।। नभो मंडल में आच्छादित... Hindi · कविता · रजकण 148 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 2 Apr 2025 · 1 min read बेटी ///बेटी/// बेटी जगत जननी का विस्तार है, परा शक्ति का धर्मधरा अवतार है। जब जब घिर आई घटा संकट की, तूने ही मानवता को लगाया पार है।। सृजन प्रकृति का... Hindi · कविता · रजकण 124 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 24 Mar 2025 · 1 min read लक्ष्य अभिप्रेत ///लक्ष्य अभिप्रेत/// चलते रहो चलते रहो, चलना निरंतर लक्ष्य को, मानव को यही तो अभिप्रेत है। उसर पड़े रहते खेत में, पुरुषार्थ ही रचेगा उत्कर्ष, क्या यह दृष्टि नहीं समवेत... Hindi · कविता · रजकण 201 Share Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan" 23 Mar 2025 · 1 min read अरुणोदय पथ अरुणोदय पथ समरसता उत्कर्ष अनुराग, होते तिरोहित वैराग। शुभता का संदेश निरंतर, जीवन पाए मकरंद पराग।। ऋतु बसंत मधुमास, पूर्ण चंद्र की आस। नित्य निरंतर जीवन पथ पर, ब्रह्म एकात्मता... Hindi · कविता · रजकण 106 Share Page 1 Next