Tag: गुप्तरत्न
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सिर्फ लिखती नही कविता,कलम को कागज़ पर चलाने के लिए //
गुप्तरत्न
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है "रत्न"
गुप्तरत्न
दूर तक आ गए मुश्किल लग रही है वापसी
गुप्तरत्न
तुम ढाल हो मेरी
गुप्तरत्न
दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं,l
गुप्तरत्न
अच्छा लगने लगा है !!
गुप्तरत्न
अब जीत हार की मुझे कोई परवाह भी नहीं ,
गुप्तरत्न
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
गुप्तरत्न
“गुप्त रत्न”नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है,
गुप्तरत्न
क्यूं हो शामिल ,प्यासों मैं हम भी //
गुप्तरत्न
कीमत बढ़ा दी आपकी, गुनाह हुआ आँखों से ll
गुप्तरत्न
दुनिया तेज़ चली या मुझमे ही कम रफ़्तार थी,
गुप्तरत्न
जिद कहो या आदत क्या फर्क,"रत्न"को
गुप्तरत्न
शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा।
गुप्तरत्न