Posts Tag: अकविता। 18 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid *प्रणय* 4 Oct 2024 · 1 min read मुझे नज़र आती है #अकविता- ■ बिटिया में देवी। 【प्रणय प्रभात】 मुझे नज़र आती है हर बिटिया की सूरत में, एक देवी की मूरत। नेह से परिपूर्ण, वात्सल्य से सराबोर। जो मांगती है दुआ... Hindi · अकविता। 1 31 Share SURYA PRAKASH SHARMA 4 Jul 2024 · 1 min read जातियों में बँटा हुआ देश जातियों में बँटा हुआ देश गठ्ठर से अलग हुई उन लकड़ियों जैसा है जिन्हें कोई भी चाहे तब तोड़ सकता है बिना किसी परेशानी के । लेकिन हरेक लकड़ी को... Hindi · अकविता। · अतुकांत · कविता · जाति जनगणना 2 100 Share SURYA PRAKASH SHARMA 31 May 2024 · 1 min read जोड़ियाँ देखकर के — लड़के की सरकारी नौकरी, अच्छा-सा मकान, गाँव में खेत-खलिहान, और लेकर के मनचाहा दहेज, अपनी मनपसन्द कार, और तमाम तरीके के उपहार, लड़के और लड़की वाले कहते... Hindi · अकविता। · समकालीन कविता 2 102 Share SURYA PRAKASH SHARMA 31 May 2024 · 1 min read इंसानियत की लाश आज देश में इंसानियत की लाश एक कोने में पड़ी सड़ रही है । नेता लगातार जनता को आपस में लड़ा रहे हैं, और बेवकूफ़ जनता – आपस में लड़... Poetry Writing Challenge-3 · Best Poem · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · अकविता। 2 90 Share SURYA PRAKASH SHARMA 30 May 2024 · 1 min read ज़िन्दगी जिंदगी को गहराई से समझना चाहा, तो सवाल ये उठा कि — क्या ज़िन्दगी पैदा होने से लेकर पढ़ाई करने, नौकरी लेने, शादी करने, बच्चे पैदा करने, और मर जाने... Poetry Writing Challenge-3 · Life · अकविता। · जिंदगी एक पहेली 1 169 Share SURYA PRAKASH SHARMA 29 Mar 2024 · 1 min read मैंने एक दिन खुद से सवाल किया — मैंने एक दिन खुद से सवाल किया — सांसद या विधायक बनने के लिए अपने क्षेत्र में कितना विकास करने की आवश्यकता है । क्या अपने क्षेत्र में सुननी होगी... Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · अकविता। · गंदी राजनीति 1 264 Share SURYA PRAKASH SHARMA 19 Mar 2024 · 1 min read भावी युद्ध ... बुर्जुआ बना रहे हैं सर्वहारा को खत्म करने की योजना इसीलिए लगातार सबकी नौकरी खाने के लिए रोबोट बनाए जा रहे हैं । किसी भी आंदोलन को खत्म करने के... Hindi · Hindi Kavita · अकविता। · कविता · रोबोट 1 98 Share *प्रणय* 6 Oct 2023 · 1 min read ◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:- ■ केवल बुद्धिजीवियों के लिए...!! (कविता मानो कविता : विचार मानो विचार) 【प्रणय प्रभात】 "अगर अपराध है- हर समय मुस्कुराना, हंसना और हंसाना। प्यार करना और सिखाना, रिश्ता बनाना और... Hindi · अकविता। 2 1 155 Share *प्रणय* 4 Oct 2023 · 1 min read ■ सुन भी लो...!! #अकविता- ■ कैलेंडर नहीं हूँ मैं ..!! 【प्रणय प्रभात】 सुनो....! हां, हां, तुम्ही से कह रहा हूं मैं। मेरी ज़िंदगी या दुनिया में नहीं- "पार्ट टाइम" शब्द का कोई अर्थ।... Hindi · अकविता। · प्रणय की कविता 1 163 Share SURYA PRAKASH SHARMA 13 Aug 2023 · 1 min read आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है जिसे हम पिछले सात दशकों से सुनते आ रहे हैं । लेकिन वास्तव में — भारत कभी आज़ाद हुआ ही नहीं । अगर मैं... Happy Independence Day · Quote Writer · अकविता। · कविता की भूमिका 1 271 Share *प्रणय* 7 Jul 2023 · 1 min read #कविता #कविता ■ यारी नहीं केवल दुनियादारी 【प्रणय प्रभात】 सोचा था कि जैसे ही तुम मिले मैं व्यग्र आदतन उग्र हो जाऊंगा। तुम्हें खरी-खोटी सुनाते हुए सदैव सा भुनभुनाऊंगा। तुम मेरे... Hindi · अकविता। · आधुनिक कविता 2 175 Share Ruchika Rai 30 May 2023 · 1 min read खत कुछ खत तुम्हारे नाम की मैंने कोरे पन्नों पर सजाई थी। जिसे अपने जज्बातों से शृंगार कर भावनाओं का जेवर पहनाई थी। भेजना चाहती थी तुम्हारे पते पर पर कुछ... Poetry Writing Challenge · अकविता। 1 363 Share SURYA PRAKASH SHARMA 21 May 2023 · 1 min read आज देश में इंसानियत की लाश आज देश में इंसानियत की लाश एक कोने में पड़ी सड़ रही है । नेता लगातार जनता को आपस में लड़ा रहे हैं, और बेवकूफ़ जनता – आपस में लड़... Poetry Writing Challenge · Best Poem · Hindi Kavita · अकविता। · कविता 1 209 Share प्रेमदास वसु सुरेखा 17 May 2023 · 2 min read देश में डाकी आयो रे भाया भी जागो, बहिणा भी जागो जागो सगऴा हिन्दुस्तान रे कब तक अंखियां मूदोगे म्हारा देश टुटता ज्यों र म्हारा वतन टुटता ज्यों र खुदगर्जी का बहरूपिया और खुदमर्जी का... Poetry Writing Challenge · अकविता। · देश में डाकी · बहरूपिया · मानवता हार 1 386 Share प्रेमदास वसु सुरेखा 16 May 2023 · 1 min read मैं आक्सीजन हूं मैं आक्सीजन हूं...... *******"*"""""***************** ओ बहरूपिया सुन लो मैं ऑक्सीजन हूं जो हिंदू मुस्लिम नहीं देखती समझे इंसानियत देखती हूं और सब के काम आती है मैं ऑक्सीजन हूं सब... Poetry Writing Challenge · अकविता। · अभिमान · मानवता का गगन 1 119 Share *प्रणय* 3 Apr 2023 · 1 min read ■ कविता #भावाभिव्यक्ति ■ क्यों करूं पिता को याद...? 【प्रणय प्रभात】 "मैं अपने पिता को याद नहीं करता कभी नहीं, कभी भी नहीं। और क्यों करूं याद...? याद भी उन्हें, जिन्हें कभी... Hindi · अकविता। · अतुकांत · पिता · भावनात्मक 1 226 Share *प्रणय* 17 Mar 2023 · 1 min read ■ अटपटी-चटपटी... #रचना_की_रसोई ■ स्पेशल थाली : फोकट वाली 【प्रणय प्रभात】 "भावनाओं का भात, कामनाओं की दाल, तनाव का तड़का, बाधाओं का बघार, रस्मों का रायता, ख्वाबोँ की खीर, दर्द का दही-बड़ा,... Hindi · अकविता। · अतुकान्त कविता · अभिनव_प्रयोग · जीवन · नवाचार 1 204 Share Kumar Kalhans 2 Mar 2023 · 1 min read पछतावा। एक आतंकवादी फटा, इस तरह फटा, कुछ नहीं बचा, तो सुपुर्दे ख़ाक होने का सवाल ही नहीं उठता था, न जमीन का था न जन्नत का, यहां से वहां प्रेतात्मा... Hindi · अकविता। 158 Share