sp132 कली खिलेगी/ लाए हैं भाषण
sp132 कली खिलेगी
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कली खिलेगी पुष्प बनेगी और सुगंधित उपवन होगा
पूरा समय हुआ जब उसका वह भी सूख कर गिर जाएगा
मानव की भी यही कहानी नन्हा शिशु बनकर आता है
मन मोहक क्रीड़ा करता है शैशव पाकर मुस्काता है
होता युवा देखता सपने जीवन में क्या-क्या करना है
और कंधों पर बोझ उठा कर अपना रस्ता तय करना है
और उम्र ज्यों ज्यो बढ़ती है तन हर रोज शिथिल होता है
और दूसरों की नजरों में हर बूढ़ा काहिल होता है
जितनी उम्र लिखा कर आया उतना सफर पूरा करता है
कर्म भोग पूरा कर लेता उसके बाद प्राणी मरता है
हर जीवन की यही कहानी जितनी भी कर लो मनमानी
सफर तो पूरा करना होगा इसी परिधि पर चलना होगा
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लाए हैं भाषण की पोटलिया खेल दिखाने आए जमूरे
कुछ सब में शातिर दिखते हैं बाकी थोड़े लगे अधूरे
जो भी जीता कहलाएगा राजनीति का चतुर खिलाड़ी
जनता को सपने दिखलाकर करेगा अपने सपने पूरे
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
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