सिर्फ वही इंसान शिक्षित है, जिसने सीखना और परिस्थितियों के अ
*राममय हुई रामपुर रजा लाइब्रेरी*
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
खिंची लकीर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
तमस अमावस का घिरा, रूठा उजला पाख।
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
हम राज़ अपने हर किसी को खोलते नहीं
जब ज्ञान स्वयं संपूर्णता से परिपूर्ण हो गया तो बुद्ध बन गये।