रोल नम्बर 252
मरासिम
दिल के
यूँ पल भर में
नहीं तोड़े जाते
दर्द होता है
दिल में,
धडकनें टूटती हैं,
नींद की बेरुखी का असर
ख़्वाबों पर होता है ..
मिलना मुकद्दर में नहीं
पाना इख्तियार में नहीं
अजब है ये शै
मोहब्बत भी है यारों
और अजब है
मेरी कसमकस ..!!
अजब तो तुम्हें भी लगेगा
जब देखोगे
मेरी हाथ में सुलगता सिगरेट
और यादों के कमरे में
पसरा गुबार धुंए का
हाँ मुसव्विर हो गया हूँ मैं
और सिगरेट मेरी तुलिका
वक़्त ने ही सीखाया मुझे
तुम्हारा तस्वीर बनाना
दम तोडती कसों के छल्लों से,
धुंए के कफ़न जैसे सफेद रंग से ..
जो निगाहों को
तुम्हारी मौजूदगी का
क्षणिक ख्वाब तो दे ही देती हैं
हाँ क्षणिक ही कहो
क्योंकि
जब भी सीने से लगाने को
अपनी बाहें फैलाता हूँ
हवा दूर ले जाती है तुम्हें
हमेशा की तरह
और गायब हो जाती है
तुम्हारी तस्वीर
छल्लों के गोल फ्रेम से
फ्रेम समेत
क्षण भर में
ठीक उसी तरह
जैसे तुम्हारा ग़म कभी
गायब हो जाया करता था
मेरी सोहबत में
मुझसे मिलकर ……..!!!!!!!
तुम्हारा मुन्तजिर
जितेन्द्र “जीत”
#रोल_नम्बर_252