बिना काविश तो कोई भी खुशी आने से रही। ख्वाहिश ए नफ़्स कभी आगे बढ़ाने से रही। ❤️ ख्वाहिशें लज्ज़त ए दीदार जवां है अब तक। उस से मिलने की तमन्ना तो ज़माने से रही। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अब रह ही क्या गया है आजमाने के लिए
गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही,
जानें क्युँ अधूरी सी लगती है जिंदगी.
मुझे पहचानते हो, नया ज़माना हूं मैं,
आया दिन मतदान का, छोड़ो सारे काम
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
डाल-डाल तुम होकर आओ, पात-पात मैं आता हूँ।
खतडु कुमाउं गढ़वाल के बिच में लड़ाई की वजह या फिर ऋतु परिवर्तन का त्यौहार
कोई किसी के लिए कितना कुछ कर सकता है!
"योमे-जश्ने-आज़ादी" 2024
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
💐मैं हूँ तुम्हारी मन्नतों में💐