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10 Jul 2023 · 1 min read

Rajasthani Kavita

A collection of genres included in the Rajasthani poetry tradition.

मां अर म्हैं
अंकिता पुरोहित
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मां कद झलाया

सगळा बरत

ठाह नीं

पण करूं

म्हैं नेम सूं,

बरत री कथावां

मां रै कंठां तूं निकळ’र

कद बसगी म्हारै कंठां

है ज्यूं री ज्यूं

ठाह ई नी पड़ी!

जित्ता गीत

मां नैं आवै

बित्ता ई आवै म्हनैं

बियां ई जुड़ै जाड़ा

बियां ई दूखै माथो

बियां ई चालै पगां में रीळ

बियां ई जीमूं

सगळां रै जीम्यां पछै!

मां!

थूं कद बैठगी

ऊंडै आय’र म्हारै

है ज्यूं री ज्यूं?

परेम
अंजु कल्याणवत
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डूंगर-मंगरा

मांय कूदती

जळ री धार

जियां

समा जावै

सोनावर्णी टीबां मांय

नीं छोड़ै

सुरसती सो

कोई सैनांण

इस्यो ही

हुवै

परेम।

1 Like · 256 Views

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