विनय "बाली" सिंह Tag: ग़ज़ल/गीतिका 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनय "बाली" सिंह 29 Jun 2021 · 1 min read पागल लड़की जिद्द पर ऐसे अड़ जाती है..पागल लड़की। मुझको पागल कर जाती है..पागल लड़की। खास नहीं है कोई ऐसी बातें मुझमें, फिर भी मुझपर मर जाती है..पागल लड़की। ना-ना कहके, हाँ...कहना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 323 Share विनय "बाली" सिंह 25 May 2021 · 1 min read मेरे खुदा बचाएं सबको गुनाह से। गुजरा हूँ जिनके खातिर काँटों की राह से। देखा उसी ने मुझको शक की निगाह से। खुशियो की हिस्सेदारी सबने कुबूल की, तौबा है बस सभी को मेरी कराह से।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 254 Share विनय "बाली" सिंह 23 May 2021 · 1 min read कहाँ से लाओगे सब-कुछ होगा याद कहाँ से लाओगे। मुझको.....मेरे बाद कहाँ से लाओगे। लाखों आशिक शहरों में मिल जाएंगे, मुझ जैसा फरहाद कहाँ से लाओगे। दीवारों पर छत रखवा तो सकते हो,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 6 498 Share विनय "बाली" सिंह 23 May 2021 · 1 min read पी गया घूँट भर में जमाने का डर पी गया। मुस्कुराते हुए वो....जहर पी गया। चन्द बूंदे मयस्सर......न रब को हुई, वो जो अमृत कलश था शहर पी गया। शर्तिया वो भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 480 Share विनय "बाली" सिंह 20 May 2021 · 1 min read पी गया। घूँट भर में जमाने का डर पी गया। मुस्कुराते हुए वो....जहर पी गया। चन्द बूंदे मयस्सर......न रब को हुई, वो जो अमृत कलश था शहर पी गया। शर्तिया वो भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 268 Share विनय "बाली" सिंह 13 Jun 2020 · 1 min read कौन है ? हक़ीम ही हक़ीम है, बीमार कौन है। सच कहो, दवा का खरीदार कौन है। देखकर कतार आज मयकदे के सामने, सोंचता हूँ , मुल्क में बेकार कौन है। हर सवाल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 562 Share विनय "बाली" सिंह 22 May 2020 · 1 min read मार देगी जिंदगी। रास्तें हर बार देगी जिन्दगी। थक गये तो मार देगी जिन्दगी। दर्द में भी मुस्कुराने की अदा, आ गयी तो प्यार देगी जिन्दगी। कब कहानी मोड़ लेगी क्या पता, कब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 243 Share विनय "बाली" सिंह 21 May 2020 · 1 min read नहीं करता तो अच्छा था...... निगाहों से कलाबाज़ी , नहीं करता तो अच्छा था। मुहब्बत में हमें राजी, नहीं करता तो अच्छा था। दिखाकर ख़्वाब आंखों को, बनाकर इश्क़ में पागल, सजन हमसे दगाबाजी, नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 440 Share विनय "बाली" सिंह 19 May 2020 · 1 min read आराम से गुजरे..... कुछ करो ऐसा की ऐहतराम से गुजरे। जिंदगी चार कदम तो आराम से गुजरे। लब्ज़ जब भी करें सफर कानों तक का, है दुआ, हर लब्ज़ तुम्हारे नाम से गुजरे।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 226 Share विनय "बाली" सिंह 18 May 2020 · 1 min read क्या चाहता है ? जलाकर बस्तियों को घर बनाना चाहता है। खलीफा खौफ का मंजर बनाना चाहता है। हुई नाकाम सारी साजिशें तो आज कल, खुदा का नाम लेकर डर बनाना चाहता है। इधर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 292 Share विनय "बाली" सिंह 18 May 2020 · 1 min read अलग कुछ कहती है । दावों की तासीर, अलग कुछ कहती है। शहरों की तस्वीर, अलग कुछ कहती है। मजदूरों की, मजबूरी का दर्द अलग, मदिरा-लय की भीड़, अलग कुछ कहती है। फ़रमाया नाजी ने,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 429 Share विनय "बाली" सिंह 27 Sep 2019 · 1 min read कुछ बड़ा कीजिये कुछ, पुराने से 'घर' में नया कीजिये। 'कद' बड़ा हो न हो 'दिल' बड़ा कीजिये। 'शान' पाकर विरासत में क्या फायदा, खुद कि मेहनत से 'रूतबा' खड़ा कीजिये। हो इरादा,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 192 Share विनय "बाली" सिंह 20 Sep 2019 · 1 min read गीतिका दर्द जब-जब सताये, बढ़े प्रीत में। शब्द तब-तब हमारे ढले गीत में। जल गई कोर सारी हरी घास की, आग कैसी लगी माघ की शीत में। यूँ लगा की मिलन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 282 Share