Varun Singh Gautam 217 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Varun Singh Gautam 23 Feb 2024 · 68 min read मँझधार ( काव्य संग्रह ) भाषा :- हिन्दी मँझधार ( किताब ) :- काव्य संग्रह ( सम्पूर्ण संग्रह ) 1. मेरे गुरुवर शिक्षा दायिनी मेरे गुरुवर प्रभा प्रज्वलित हो तिमिर में... Hindi 28 Share Varun Singh Gautam 31 Dec 2023 · 1 min read ___गोता #2023 की आख़िरी ये कविता नव हम, नव तुम ये सारा आसमान महकती धरा, इन फूल-फल ये नए कोंपल पत्ते तन जड़ मिट्टी उमंग उत्सव से सतरंगों को समेटते खिला... Hindi 1 76 Share Varun Singh Gautam 31 Dec 2023 · 1 min read थोड़ा और सबेरे - सबेरे आहिस्ता से रजाई अपने शरीर से सरकाया मन तो बहुत कर रहा था थोड़ा और नींद लूं बस थोड़ा और...। दस मिनट... नहीं, नहीं। पाँच मिनट... नहीं,... Hindi 74 Share Varun Singh Gautam 29 Dec 2023 · 1 min read मैं तो अकर्मण्य हूँ मैं तो अकर्मण्य हूँ ये ठहरी सुन्न पृथ्वी! उसमें चिपटी धरा अगौनी कहाँ कर रही है ? अतीत भी दम्भ में मुँह मोड़ ली है...! कौन अगिर इन्द्र, कौन ब्रिटिश... Hindi 67 Share Varun Singh Gautam 29 Dec 2023 · 1 min read क्रम में मन शांत है पर भाषा कुलबुलाती है अपनी पहचान लिए इतिहास बनाती है रोज़ ख्वाब बुनते शाम को ढ़ल जाती है फिर कल भोर नई स्वप्न सज कर आती है... Hindi 1 99 Share Varun Singh Gautam 29 Dec 2023 · 1 min read तुम्हारा दो दीये दिन में जले दो दीये रात चार चांदनी लगे दो दिन बरसात क्षिति का स्पंदन है किरणें बिखेरती प्राची से प्रतीची भी शरमा गए दोनों दीप-ज्योति सी फैल... Hindi 69 Share Varun Singh Gautam 29 Dec 2023 · 1 min read दो सीमा है दो सीमा है अतीत लिए समाने को प्रतीक्षा में खड़ा है निरन्तर या स्थिर है अपनी स्थिति नापते हुए तलाश रहा अपने अंतिम अतीत रचने को युग-युगान्तर ओर अब कौन... Hindi 1 1 71 Share Varun Singh Gautam 29 Dec 2023 · 1 min read सन्ध्या के बाद स्त्री हो जाती ये काली - काली रात अन्धियारा सन्ध्या के बाद स्त्री हो जाती ममत्व कहर उठ ऊर्ध्वंग नृत्य करती किस देह के सौन्दर्य लोलुपता है स्त्री या पुरुष के द्वंद्व में... Hindi 1 62 Share Varun Singh Gautam 29 Dec 2023 · 1 min read एक औरत एक औरत पृथ्वी का बोझ थामी रहती है प्रेम - समर्पण की नदियाँ स्पर्श करती हृदयों के गहराइयों के समुद्र सा महासागर सा__ पत्तों जैसी पालती हमें फिर यहीं पत्ते... Hindi 81 Share Varun Singh Gautam 29 Dec 2023 · 1 min read भोर में उगा हुआ भोर में उगा हुआ किन्तु पहले वो कली है खिला नहीं! खिलने को है। पर तुल्य देखें___ स्त्री का शरीर कई दर्पण है! जो पुरुष उसे रोज देखता है फिर... Hindi 1 71 Share Varun Singh Gautam 29 Dec 2023 · 1 min read रफ़्तार तेज़ रफ़्तार होती है रेलगाड़ी... हवाई जहाज़ सूर्य प्रकाश आदि आदि परन्तु मनुज मस्तिष्क नहीं होती इतनी रफ़्तार! आइंस्टीन जैसे बनने लिए भी रफ़्तार नहीं अपितु चाहिए शनै-शनै प्रयासरत संयम-धैर्य-अनुशासन... Hindi 1 73 Share Varun Singh Gautam 29 Dec 2023 · 1 min read सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ? सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ? ये बारिश के बून्दे, ये चुस्कियाँ ये तुम्हारे केश तलों के बीच मुस्कुरा रही! Hindi · Quote Writer 1 91 Share Varun Singh Gautam 3 Jul 2023 · 1 min read अस्थि-पंजर मेघ आती है बूंद - बूंद में कुछ लफ्ज़ लिए... कुछ कशिश लिए... अतृप्त को भरने को पुनः - पुनः स्त्री देह में समाने में अनवरत रूप में क्षिति से... Hindi 68 Share Varun Singh Gautam 22 Dec 2022 · 1 min read कशिश परिस्थितियां कुछ भी हो ख्वाहिशें पूरी हो ही जाती जो मस्तिष्क के लकीरों में उत्कीर्णित बिछी हुई रहती उत्कृश्ट को कहो क्या ? क्यारी भी नीर के प्यासे हैं आकृति... Hindi · Poem 160 Share Varun Singh Gautam 21 Dec 2022 · 1 min read कितना सत्य है ! लोग ठहरते नहीं रूकते नहीं बीती हुई चक्र में स्थिति चाहे कुछ भी हो अब कान्ति दिखती नहीं जहाँ दिखती है वहाँ परिस्थिति धुन्ध जाती परिक्रमा करूं तो इच्छा होगी... Hindi · कविता 91 Share Varun Singh Gautam 20 Dec 2022 · 1 min read कवित्त मैं दिवाना था, हूँ, रहूंगा तूझे पा नहीं सका किन्तु तुम्हारे ही पीछे सदा रहूंगा एक पागल या प्रेमी बनके कल्पनाएं में भी तुझे ही स्मरण करूंगा फिर भी तू... Hindi · कविता 118 Share Varun Singh Gautam 29 Nov 2022 · 1 min read स्पन्दन एक स्पन्दन की टूटी सांसें, पर प्रस्फुटन हो फिर चकाचौंध में उसकी स्मृतिचिह्नों के कदम ताल पर कौन धराधर ओ लताएं बैरी करें इसे हर कोई दंडवत रह रह इसे... Hindi · कविता 114 Share Varun Singh Gautam 28 Nov 2022 · 1 min read मेरी सम्पूर्ण तुम्हारे पीछे की ओट से तुम्हें मैं खुद में पाता हूं समर्पण लिए सशरीर एक बार समिलन को नव्य सृजन सृष्टि को लूं थाम, करूं प्रस्फुटन जिसमें मैं तू को... Hindi · कविता 1 132 Share Varun Singh Gautam 27 Nov 2022 · 1 min read ये अन्धेरी रात ये अन्धेरी रात मायूसी - सी चुपचाप कोने में चित्कार कर रही पुकार रही मानों जैसे हो बचाने को पर कोई नहीं सिर्फ दिख रहें इनके आंशू की तेज धार... Hindi · कविता 110 Share Varun Singh Gautam 26 Nov 2022 · 1 min read गाँव की शामें गाँव की शामें झोंपड़ीनुमा आकृतियाँ मोनू के घर की शान्त वातावरण गऊ, भैंस गाछी से चरके लौटती घर को ढ़लान से आती वो बथान को बगल में नीम का पेड़... Hindi · कविता 117 Share Varun Singh Gautam 26 Nov 2022 · 1 min read कंपकंपी ठिठुर-ठिठुर रहते घर के अन्दर हम कम्बल के अन्दर चिपके-चिपके हम देखो पानी भी ठंडा ये भोजन भी ठंडा करंट-सी लगती ऊंगली में, तन में अंगीठी को पकड़ खुद को... Hindi · Poem 1 149 Share Varun Singh Gautam 26 Nov 2022 · 1 min read ठिठुर ठंड - ठंड हवा के झोंके आई ये शीतलहर चहुंओर लगती जब लहर-लहर के बदन पड़ जाती शिथिल सब घर-घर कोने में दुबके मुँह से कुछ न कुछ बोलते ठिठुरन,... Hindi · कविता 1 85 Share Varun Singh Gautam 25 Nov 2022 · 1 min read कवित्त तुम्हारी वासनाओं के तुझे पाने को तुझमें ही समाना प्रिय मुझे। तुम्हारी शरीर के प्रश्नचिह्न पर स्पर्श होने की ख्वाहिश मन में, भावनाओं में गंग - सी बहना प्रिय मुझे।... Hindi · कविता 1 118 Share Varun Singh Gautam 23 Nov 2022 · 1 min read कवित्त """"'''"""""""""""""""""'’ एक बात है हृदयों में चाहों में पर कैसे कहूं ? मैं खुद-ब-खुद असमंजस बरकरार इस तलक तक याद नहीं बेकसूर थे हम कभी या अभी-अभी.....! अंतर्द्वंद्व है ईच्छा... Hindi · Poem 94 Share Varun Singh Gautam 20 Nov 2022 · 1 min read हूं कौन भला! हूं कौन भला! """''"'''''''''''"""'''"''''''''''''''''' मैं थका हूँ अपने हार से.. अफ़सोस भी है पर कौन भला ! यहां कोई हमारा है। राहों से चला पर यहां असमंजस है लेकिन हूँ... Hindi · कविता 2 1 150 Share Varun Singh Gautam 17 Nov 2022 · 1 min read फोन है फोन तो फोन है फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर के नाम यूट्यूब की जवानी है मैसेज का हाल वाट्सएप टिपीर-टिपीर लिंकिंन जाॅब के तलाश क्रोम गूगल ब्राउज़र बोलूं तो खोजूं बाबा हैं........ Hindi · कविता 214 Share Varun Singh Gautam 16 Nov 2022 · 1 min read आत्मशून्य मैं आत्मशून्य मैं होना चाहता कबसे! एक वक्त विस्मृत-सी स्मृतियाँ की गीत गूंजायमान है.. निरन्तर, इसे समरशेष बचे हैं धनञ्जय के स्वर! देवदत्त नामक शंखनाद घनघोर भूतलाकाश तक प्रतीतमान् प्रदीप्त-सी देखो... Hindi · कविता 68 Share Varun Singh Gautam 15 Nov 2022 · 1 min read सब भूलेंगे जरूर दिन / रात एक दिन कटेंगें जरूर मंजिल भी आएंगी सब भूलेंगे जरूर एक दिन सफर के रास्ते ख़त्म होंगें जरूर किसकी तलाश हैं ? अपने शाश्वत आकक्षाओं के मिटा... Hindi · कविता 1 67 Share Varun Singh Gautam 2 Nov 2022 · 1 min read कवित्त ४५ पर्याप्त है अब यहाँ जीना आहें भरे ये जाने कौन ? इसे... पैसों के बोल हैं समर्पण के शिकार कौन ? मानवता तो धूल गई अब मानव में नहीं धिक्कारे... Hindi · कविता 1 104 Share Varun Singh Gautam 1 Nov 2022 · 1 min read हरयाणा ( हरियाणा दिवस पर विशेष) हरयाणा हरयाणा ये हरयाणा प्यारा-प्यारा है ये कहूं हमारा पेड़ की छांव में बैठ कह सुनाया एक रोटी कह देख सब लुटारा खुशी - खुशी सबकुछ बता देरा कहूं तो... Hindi · कविता 1 223 Share Varun Singh Gautam 1 Nov 2022 · 1 min read परछाई के घेरे में एक रात थी वो भी लौट गई तस्वीर बनी कैसी है कहो तो कौन खिंचवाएं देख ज़रा इसे तू एकबार किस परछाई के घेरे में देख ये तो कुछ है... Hindi · Poem 1 120 Share Varun Singh Gautam 30 Oct 2022 · 1 min read छठ पर्व छठ - पर्व हैं जिनके रम आस्था की कहो प्रज्ञा दीप संस्कार समर्पण के शृंगार अद्भुत प्रकृति की वो प्राण सन्ध्या और प्रातः काल राग करें हर कोई दंडवत प्रणाम... Hindi · कविता 2 189 Share Varun Singh Gautam 30 Oct 2022 · 1 min read इंतकाल ! पटाखों के धूल में भविष्य बुझ रहें कोई एक ही झोंका रुग्ण के कहें कौन तू प्यासे हो.....? आ जा बूझा लें। वर्तमान है अब पूर्ण विराम! जानतें हो...? शरीर... Hindi · कविता 1 178 Share Varun Singh Gautam 27 Oct 2022 · 1 min read भूलने की कोशिश में कुछ लिखने की चाहत किन्तु लिख नहीं पाता हूं रहस्य है पर इसे हम एक तार से पिरोए देना चाहता हूं कुछ बातें हैं मन में छुपी हुई, खोई-सी पता... Hindi · कविता 1 167 Share Varun Singh Gautam 25 Oct 2022 · 1 min read मैं तुझमें तू मुझमें मैं तुझमें तू मुझमें सदा समर्पित... कल्पनाओं की चौखटें कौन देख रहे ? मानों बुला रही मुझे, इसी के पाने करते कौन इंतजार ! ज़माना तो खिल उठी वक्त भी... Hindi · कविता 1 158 Share Varun Singh Gautam 18 Oct 2022 · 1 min read एक ठहरा ये जमाना एक ठहरा ये जमाना न चाहत न ठिकाना बीत चला मेरा यहां रहते कौन किसके जहां मुकद्दर किसके शहंशाह है बोले तो अशोक या चंद्रगुप्त ये रण के कौन है... Hindi · कविता 3 176 Share Varun Singh Gautam 16 Oct 2022 · 1 min read कवित्त प्रेम के एक घूंट दे दो कहीं से.... पाना तुझे, तुझमें ही सदाव्रत, जीवन तलक.... तेरी छुअन तन में क्या लहर हो उठती ! कंपन ध्वनि हृदय करता मैं तो... Hindi · कविता 266 Share Varun Singh Gautam 9 Oct 2022 · 1 min read कवित्त ऐ रुक सृजनहार, छोड़ थोड़ा ठहर, देख ज़रा भूखों - नगों की के डेरे में रोटी नहीं महफिल के घेरे है ये शृंगार है बाजारों के चकाचौंध है सिर्फ किबाड़ों... Hindi · Poem 2 165 Share Varun Singh Gautam 22 Sep 2022 · 1 min read वेदनापूर्ण लय है वेदनापूर्ण लय है अपरिचित - सी भ्रमण नहीं, ये क्रम है अट्टाहस की गूंज गिर रही श्रुतिपटल निस्पन्दन में.... ये आनन्द मन नहीं श्री - श्री अन्त है यथार्थ की... Hindi · कविता 5 219 Share Varun Singh Gautam 6 Sep 2022 · 1 min read एक सुन्दरी है एक सुन्दरी है Just सामने शरीर क्या ? सबकुछ अच्छा! नयनों की बिंदिया भौंह की ज़वानी केश की क्या लगती चार चांदनी बस समय का आलम है पर है नहीं... Hindi · कविता 4 1 256 Share Varun Singh Gautam 24 Aug 2022 · 1 min read करता कौन जाने सोचूं में क्या, करता कौन जाने पग-पग बीति दिन-रात फिर कैसे दिन हुँकार नहीं शंखनाद नहीं ये है कौन धार विश्व जगे झर-झर जाते खिल फूल यहाँ मैं कौन हूँ... Hindi · कविता 2 1 275 Share Varun Singh Gautam 17 Aug 2022 · 1 min read एक बात है एक बात है कसर-सी अन्दर ही अन्दर मचल-सी कोई तमन्ना थी पर पूरी न हो सकी। जानते हो एक बात और है पर इसमें है स्वार्थ देता कौन यहाँ परमार्थ!... Hindi · कविता 2 291 Share Varun Singh Gautam 6 Aug 2022 · 1 min read कहो नाम """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" कहो तो ये सभ्यता किसकी सौगंध - सौन्दर्य है अपनी घर - घर शान है किसकी मान - सम्मान मातृ धरोहर की आर्यावर्त भरतखण्ड के ये संस्कृति है किसकी... Hindi · कविता 3 2 170 Share Varun Singh Gautam 6 Aug 2022 · 1 min read भूख भूख """"""""""""""""""""""'''""""""""''"''" भूख है पेट की तड़पन का शक्ति नहीं चल पाता भी नहीं मुरझा - मुरझा कर गिर पड़ता हूँ भटक - भटक राहों में एक आशाएं थीं वो... Hindi · कविता 3 242 Share Varun Singh Gautam 3 Aug 2022 · 1 min read मैं ही बेगूसराय मैं ही बेगूसराय मैं ही दिनकर मैं ही कवित्त मैं ही कवि कि रश्मिरथी मैं ही हुंकार हूँ.... यहीं मेरी पहचान है यहीं मेरी अस्तित्व! जानो भला यहीं मैं ही... Hindi 2 192 Share Varun Singh Gautam 3 Aug 2022 · 1 min read हलाहल दे दो इंतकाल के दर्द है पता नहीं, ये क्या हैं ! वेदना तो कठोर है, तीखा है न जाने ये ठहरेंगे, चले जाएंगे कह दो अश्रुण्ण हूँ, नहीं टूटेंगे इतिवृत्त देखो ज़रा बन्धु,... Hindi · कविता 379 Share Varun Singh Gautam 2 Aug 2022 · 1 min read अब तो सूर्योदय है। ये बूंद गिर रहे हैं घट से धर की ओर नीर ही है या अश्रुपूर्ण है ये किस मिलन को ये अपनत्व रिश्ता कैसा! परिणय बंधन तो नहीं जन्म-जन्मांतर का... Hindi · कविता 4 371 Share Varun Singh Gautam 31 Jul 2022 · 1 min read रूको भला तब जाना एक हसीन स्वप्न है मेरे जीवन के फितरत में जिंदगानी है संघर्ष के चक्षु उड़ेल दूं तब जाना सच यहीं हैं यहां बस निर्वाण जाने कौन ये, वे सिर्फ स्नेह... Hindi · कविता 2 256 Share Varun Singh Gautam 31 Jul 2022 · 2 min read प्रेम पर्दे के जाने """"""""""""""""""""""'''""""""""""""""""""""""""""""""""" मैं, मेरे ख़त के मुसाफ़िर क्या ये प्रेम पर्दे के जाने को ? रहती कहती ये पड़ी यहीं हैं जानती मगर अब ये भी नहीं जवानी, यौवन रही कामुक काम... Hindi · Poem 2 409 Share Varun Singh Gautam 30 Jul 2022 · 1 min read एक जवानी थी एक जवानी थी वो भी चली गई गरूर था सौंदर्य भी मेरे महफ़िल के प्रियतमा के महक याद आती है अभी आंसू भी रोने लगती फूट-फूटकर अभी इश्क़ मोहब्बत कौन... Hindi · कविता 1 470 Share Page 1 Next