Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2022 · 1 min read

कवित्त

“””””'”””””””””””””””””‘’

एक बात है
हृदयों में
चाहों में
पर कैसे कहूं ?
मैं खुद-ब-खुद
असमंजस
बरकरार इस
तलक तक
याद नहीं
बेकसूर थे
हम कभी
या अभी-अभी…..!
अंतर्द्वंद्व है
ईच्छा भी
पर पूछूं क्या ?
किससे और कहाँ
कैसे या क्यों
किसके या परन्तु
किसके लिए न….
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ
हैं कौन
याद नहीं
पर बात है
कसर-सी
है किन्तु
रहस्यमयी और
अश्रुपूर्ण ये तलक
गहराईयों के तह तक।

#varunsinghgautam
#poetry
#kavita

Language: Hindi
Tag: Poem
96 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"वो कलाकार"
Dr Meenu Poonia
लोकतंत्र
लोकतंत्र
Sandeep Pande
मानवता
मानवता
विजय कुमार अग्रवाल
Miracles in life are done by those who had no other
Miracles in life are done by those who had no other "options
Nupur Pathak
लिपटी परछाइयां
लिपटी परछाइयां
Surinder blackpen
*मतलब इस संसार का, समझो एक सराय (कुंडलिया)*
*मतलब इस संसार का, समझो एक सराय (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जीवन जितना होता है
जीवन जितना होता है
Dr fauzia Naseem shad
पैसा अगर पास हो तो
पैसा अगर पास हो तो
शेखर सिंह
गाँव का दृश्य (गीत)
गाँव का दृश्य (गीत)
प्रीतम श्रावस्तवी
सीपी में रेत के भावुक कणों ने प्रवेश किया
सीपी में रेत के भावुक कणों ने प्रवेश किया
ruby kumari
मातर मड़ई भाई दूज
मातर मड़ई भाई दूज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सफल सारथी  अश्व की,
सफल सारथी अश्व की,
sushil sarna
Lines of day
Lines of day
Sampada
प्रेम क्या है...
प्रेम क्या है...
हिमांशु Kulshrestha
पढ़ता  भारतवर्ष  है, गीता,  वेद,  पुराण
पढ़ता भारतवर्ष है, गीता, वेद, पुराण
Anil Mishra Prahari
हमसे वफ़ा तुम भी तो हो
हमसे वफ़ा तुम भी तो हो
gurudeenverma198
" खामोशी "
Aarti sirsat
होलिडे-होली डे / MUSAFIR BAITHA
होलिडे-होली डे / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
तुम हो तो मैं हूँ,
तुम हो तो मैं हूँ,
लक्ष्मी सिंह
माँ आओ मेरे द्वार
माँ आओ मेरे द्वार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
रिश्ते चाय की तरह छूट रहे हैं
रिश्ते चाय की तरह छूट रहे हैं
Harminder Kaur
श्री विध्नेश्वर
श्री विध्नेश्वर
Shashi kala vyas
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
कवि दीपक बवेजा
प्रेम एक्सप्रेस
प्रेम एक्सप्रेस
Rahul Singh
किसी के साथ दोस्ती करना और दोस्ती को निभाना, किसी से मुस्कुर
किसी के साथ दोस्ती करना और दोस्ती को निभाना, किसी से मुस्कुर
Anand Kumar
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
अपने माँ बाप पर मुहब्बत की नजर
अपने माँ बाप पर मुहब्बत की नजर
shabina. Naaz
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विरह के दु:ख में रो के सिर्फ़ आहें भरते हैं
विरह के दु:ख में रो के सिर्फ़ आहें भरते हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...