Smriti Singh Tag: मुक्तक 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Smriti Singh 7 Apr 2022 · 1 min read ओझल रात के कहकहे में, औंधे पड़े हैं दिन के सन्नाटे सब को मालूम हैं ये गायब रास्ते, मगर ये पहचाने नहीं जाते ये गली शरीफों की नहीं है, पर शरीफ... Hindi · मुक्तक 3 2 316 Share Smriti Singh 11 Feb 2022 · 1 min read माहौल घेर कर बैठे हैं उनको शहर के तमाम लोग आग और राख की बात कर धुंआ फैलाते हैं, धुंऐ में धुंधला जाते हैं, शहर के तमाम लोग तुम खतरे में... Hindi · मुक्तक 3 2 353 Share Smriti Singh 5 Feb 2022 · 1 min read खिलाफ सियासत खेल रहा है वक्त, इक दिन नाकामयाबी का तख्ता पलट देंगे, Hindi · मुक्तक 2 2 251 Share Smriti Singh 4 Dec 2021 · 1 min read तलाश कोई न जाने वो शहर चाहता हूँ, कोई न पूछे वो डगर चाहता हूँ, न रुकूं ऐसा सफर चाहता हूँ, इश्क़ के मारे, नहीं है, अरे, हम बेचारे नहीं है,... Hindi · मुक्तक 4 7 332 Share Smriti Singh 24 Oct 2020 · 1 min read औकात तनिक भी नहीं है रूआब जाने कैसा है ये गुलाब, इठलाते हैं, वो अपने 'शक्ल- ओ -नाम' पर जिसने बनाई नहीं, ढेला भर भी औकात तुम इन सब की नवाबी... Hindi · मुक्तक 3 352 Share