Lalni Bhardwaj 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read सांझ ढलती सांझ हूं मैं, उगते सूरज सी तपस- कहां से लांऊं? सुलगता है दिल , तो सुलगने दो। यह वह आग नहीं, जिससे धूंआ निकले। भड़कता है शोला तो भड़काने... Poetry Writing Challenge-3 1 52 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 2 min read सपना कल रात मैंने एक सपना देखा, सपने में कुछ ऐसा - देखा। राजदरबार सजा हुआ था खचाखच भरा हुआ था। शान्ति में भी था अजब शोर, बेसब्री का लग रहा... Poetry Writing Challenge-3 1 103 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 2 min read एक सवाल सरे राह चलते चलते, धरती से मुलाकात हो गई। मुस्कुराहट जो देखी उसकी, तो सवालों को बरसात हो गई ।। सहती हो तुम पूरी दुनिया का बोझ, क्यों आह भी... Poetry Writing Challenge-3 1 54 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read इलज़ाम वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती हम नज़र भी उठाएँ तो इलज़ाम में फंसते हैं। वो फूलों को मसल कर उजाड देते हैं चमन, हम पौध भी... Poetry Writing Challenge-3 1 82 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read एक चुप्पी कहने को तो बहुत कुछ है मगर- हम कुछ नहीं कहते कहें तो कैसे कहें, वो – सुनने को ही नहिं आतुर । क्यों सुने ? औ' कैसे सुने ।... Poetry Writing Challenge-3 1 52 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read बिछोह सूखी हुई पत्ती हूं इस पेड़ की - वक्त की धारा में परिपक्वता की आड़ में - बिछुड़ रही हूं मैं - पर ---? धरती पर गिर कर पैरों से... Poetry Writing Challenge-3 81 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 19. चमचे चमचों का महत्त्व कड़छी से अधिक क्यों ? पूछा यह सवाल जब , तो उत्तर कुछ मिला यों । कड़छी का काम पकाने और बरताने तक सीमित। बाकि सभी काम... Poetry Writing Challenge-3 59 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 18 असुध कहावत है एडियां उठाकर आसमान छुआ नहीं जाता। छूने वाले करते हैं - कसरत- प्रयास- और अभ्यास। जानते हैं वे - सोना तप कर कुंदन बनता है पत्थर ? लुढ़क-लुढ़क... Poetry Writing Challenge-3 53 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 17. सकून वह चढ़ रहा है सीढ़ियाँ एक के बाद एक ऊपर जा रहा है वो मैं खड़ा ,चढ़ते उसे देख रहा हूं वह चढ रहा है क्षितिज की ओर। मैं ?... Poetry Writing Challenge-3 34 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 16 नारी सीता का बलिदान देता है ज्ञान । पतिव्रता स्त्री बनने का सुख में, दु:ख में पति राम के संग-संग चलने का, पति के नाम की माला जपने का जलकर भी... Poetry Writing Challenge-3 55 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 15.डगर नगर से एक डगर- नगर से लेकर महानगर तक- जाती है बल खाती । नहीं धरा उस पर कभी भी - पैर अपना । डर था या थी आशंका –... Poetry Writing Challenge-3 47 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 14. बात हम कहते हैं कोई बात- वह - सुन लेते हैं। प्रतिकार नहीं करते । तिरस्कार भी नहीं करते। बस - बात को आत्मसात कर लेते हैं। फिर ? कुछ मनन... Poetry Writing Challenge-3 28 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 13.प्रयास हम प्रयासरत हैं, हटाने को चट्टान । खड़ी है अड़िग जो- रोधक है, धारा की वह, इसीलिए, हम प्रयासरत हैं- हटाने को चट्टान ॥ अपने प्रयास में हमने, जुटाए फव्वाड़े,... Poetry Writing Challenge-3 34 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 12.धुंआ कौन कहता है धुआं, केवल- होता काला ? होते इसके कई रंग है, यह भी - सबने देखा भाला। जितना गहरा होता धुआं । दहकती होती - उतनी ही आग।... Poetry Writing Challenge-3 85 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 11 .अंधेरा उजाला दिन का उजाला- रात के अंधेरे से- उजला तो होता है। मगर? वह उजाला ही क्या? जो अपने को - अपनों से - दूर रखता है । दिन का उजाला... Poetry Writing Challenge-3 30 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 10 अस्तित्व जब जब ढूंढा अपना अस्तित्व, तुम्हारा अस्तित्व स्मरण हो आया। काल सर्प उभरे जब भी प्रश्न बन , उत्तर में तुम्हारा अस्तित्व नज़र आया । अस्सहाय सी लड़खड़ाने लगती हूं... Poetry Writing Challenge-3 28 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 9. पहचान हर कुंड से निकलती है एक छोटी सी धारा ।। तय करती है जो दूरियां थोड़ी सी दूर_ अक्सर _ टकरा जाती है अडिग -अविचल पत्थर से वह, कोई छिटक... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 8.सूरज मत हुआ करो उदास, सूरज मत हुआ करो उदास, सुन लो बस मेरी यह बात । तुम ढलते हो तो सब संसार, सुस्ताने लगता है आर पार, अंधकार आता है जब बांहें पसार, कहते... Poetry Writing Challenge-3 26 Share Lalni Bhardwaj 23 May 2024 · 1 min read 7.प्रश्न आखिर वह कौन सी बातें हैं ? जहां दिन भी अंधेरी रातें हैं । कोहरे की मैली चादर में ---- आशाएं भी पंख फैलती हैं । आखिर वह कौन सी... Poetry Writing Challenge-3 58 Share Lalni Bhardwaj 22 May 2024 · 1 min read 5.वर्षों बाद वर्षों बाद लौटे हैं मेरे कदम, ढूंढने चीड़ देवदार औ’ कैल के वन। हरी-भरी धरती गहरा नीला आकाश। चमचमाते सूरज का वह अनोखा प्रभात।। वर्षों बाद लौटे हैं मेरे कदम... Poetry Writing Challenge-3 1 40 Share Lalni Bhardwaj 22 May 2024 · 1 min read 6. धारा नदी की बहती धारा छू लेती है जब किनारा । तृप्त हो जाता है वो , अतृप्त बह जाती है धारा ।। बहना - गति है उसकी, वेदना - नियति... Poetry Writing Challenge-3 1 31 Share Lalni Bhardwaj 22 May 2024 · 1 min read 4. दृष्टि मछली को तड़पते देखा है सबने। जल के बाहर । तडपन नही दिखती उसकी जल के भीतर। छ्टपटाती तो होगी वह जल के भीतर भी । तैरते मटकते, ऊपर नीचे,... Poetry Writing Challenge-3 31 Share Lalni Bhardwaj 22 May 2024 · 1 min read 3.बूंद यह सच है कि बूंद, दरिया नहीं होता, मगर यह भी सच है कि बिन बूंद-दरिया नहीं होता। बूंद से मिलकर बूंद एक धार बनती है, धीमे धीमे बहकर यह... Poetry Writing Challenge-3 27 Share Lalni Bhardwaj 22 May 2024 · 1 min read 2.नियत या नियती लहर नदी की टकराई कभी समुद्र लहर से बोली मैं मीठी क्यों बनाती नमकीन मुझे ? लहर समुद्र की कुछ इतराती थोड़ा इठलाती बोली मैं - लहर सागर की यह... Poetry Writing Challenge-3 31 Share Lalni Bhardwaj 22 May 2024 · 1 min read जंगल की आग बीहड़ जंगल में , दहकते अंगारे पत्तों को तपा - उड़ा देते हैं । टहनियों को - जलाकर झुलसा देते हैं। पेड़ों पर क्या गुजरती है? नहीं जानता कोई ।... Poetry Writing Challenge-3 42 Share