शिवदत्त श्रोत्रिय 50 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid शिवदत्त श्रोत्रिय 20 May 2018 · 1 min read जब भी तुम्हारे पास आता हूँ मैं जब भी तुम्हारे पास आता हूँ मैं कितना कुछ बदल जाता है सारी दुनिया एक बंद कमरे में सिमिट जाता है सारी संसार कितना छोटा हो जाता है मैं देख... Hindi · कविता 1 332 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 15 Feb 2018 · 1 min read जब से तुम गयी हो जबसे तुम गये हो लगता है की जैसे हर कोई मुझसे रूठ गया है हर रात जो बिस्तर मेरा इंतेजार करता था, जो दिन भर की थकान को ऐसे पी... Hindi · कविता 504 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 14 Sep 2017 · 1 min read जिस रात उस गली में कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय रौशनी में खो गयी कुछ बात जिस गली में वो चाँद ढूढ़ने गया जिस रात उस गली में || आज झगड़ रहे है आपस में कुछ लुटेरे... Hindi · कविता 555 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 27 Mar 2017 · 1 min read आया था चाँद पानी पर कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय किसी ने उपमा दी इसे महबूबा के चेहरे की, किसी ने कहा ये रात का साथी है कभी बादल मे छिपकर लुका छिपी करता तो , मासूम... Hindi · कविता 313 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 24 Mar 2017 · 1 min read करो वंदना स्वीकार प्रभो वासना से मुक्त हो मन, हो भक्ति का संचार प्रभो जग दलदल के बंधन टूटे हो भक्तिमय संसार प्रभो ॥ वाणासुर को त्रिभुवन सौपा चरणों में किया नमस्कार प्रभो भक्तो... Hindi · गीत 541 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 10 Jan 2017 · 1 min read बेटी है नभ में जब तक बेटी तुम्हारे आँचल में जहां की खुशियां भर देती है तुम्हारी चार दीवारों को मुकम्मल घर कर देती है ॥ बेटी धरा पर खुदा की कुदरत का नायाब नमूना है... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 521 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 9 Jan 2017 · 1 min read अब बाग़बान नही आता हम उस गुलशन के गुल बन गये जहाँ अब बाग़बान नही आता कुछ पत्ते हर रोज टूट कर, बिखर जाते है पर कोई अब समेटने नही आता ॥ क्योकि अब... Hindi · कविता 323 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 5 Jan 2017 · 1 min read बढ़ाए रखी है दाढ़ी.. चेहरा छिपाने, चेहरे पर लगाए रखी है दाढ़ी माशूका की याद मे कुछ बढ़ाए रखी है दाढ़ी|| दाढ़ी सफेद करके, कुछ खुद सफेद हो लिए कितने आसाराम को छिपाए रखी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 614 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 2 Jan 2017 · 1 min read तब होगा नव-वर्ष का अभिनंदन कुछ बीत गया, कोई छूट गया कुछ नया मिला, कोई रूठ गया डोर समझ कर जिसे सम्हाला एक धागा था जो टूट गया|| मान जाए रूठे, जुड़ जाए टूटे छूटने... Hindi · कविता 491 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 26 Dec 2016 · 1 min read मैं मुस्कराने गया था, पर मुस्करा नही पाया हर दिन की तरह कल सुबह, आकर उन चन्द परिंदो ने घेरा हलवाई की दुकान के बाहर सुबह से ही जैसे डाला था डेरा || कढ़ाई लगी, समोसे कचोड़ी छानी... Hindi · कविता 1 614 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 19 Dec 2016 · 1 min read तू मेरी नज़रों मे ना खुदा हो जाए तू मेरी नज़रों मे ना खुदा हो जाए अच्छा होगा कि अब तू मुझसे जुदा हो जाए, इससे पहले कि कोई मुझसे खता हो जाए इसी तरह अगर नज़रों से... Hindi · शेर 258 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 16 Dec 2016 · 2 min read मुझे गर्भ मे ही मार दो || देख मैं तेरे गर्भ मे आ गयी माँ, कितना सुंदर सा घर है ना सर्दी है ना गर्मी है ना ही दुनिया का डर है || माँ, एक कंपन सा... Hindi · कविता 629 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 12 Dec 2016 · 1 min read किसी और का हो जाऊ क्यों होने नहीं देता वो चेहरा खुद के अलावा कहीं खोने नहीं देता किसी और का हो जाऊ क्यों होने नहीं देता || अजीब सी बेचैनी चेहरे पर रहती है आजकल तन्हाइयो मे भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 732 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 9 Dec 2016 · 1 min read आवारा कुत्ते .. दफ़्तर से देर रात जब घर को जाता हूँ चन्द कदमो के फ़ासले मे खो जाता हूँ सुनसान सी राहे, ना कोई कदमो के निशा ट्यूब लाइट की रोशनी, ना... Hindi · कविता 369 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 8 Dec 2016 · 1 min read बस छू कर लौट आता हूँ आसमान को छूने को लिया पतंगो का सहारा असहाय सा कहने लगता मैं खुद को बेचारा दरिया मे उतरने से आज तक डरता हूँ बस छू कर लौट आता हूँ... Hindi · शेर 501 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 4 Dec 2016 · 1 min read जब से बदल गया है नोट एक रात समाचार है आया पाँच सौ हज़ार की बदली माया ५६ इंच का सीना बतलाकर जाने कितनो की मिटा दी छाया वो भी अंदर से सहमा सहमा पर बाहर... Hindi · कविता 1 541 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 2 Dec 2016 · 1 min read ब्रह्म प्रकाश सूर्य नही था, चंद्र नही था दुनिया मे कोई बंद नही था ना थी रोशनी ना था अंधेरा ना थी रात और ना ही सवेरा ना धरती थी ना था... Hindi · कविता 645 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 2 Dec 2016 · 1 min read रेल से अजब निराली है रेल से अजब निराली है इस काया की रेल - रेल से अजब निराली है| ज्ञान, धरम के पहिए लागे, कर्म का इंजन लगा है आंगे, पाप-पुण्य की दिशा मे... Hindi · कविता 775 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 28 Nov 2016 · 1 min read तुझे कबूल इस समय परिस्थितियाँ नही है मेरी माकूल इस समय तू ही बता कैसे करूँ तुझे कबूल इस समय || इशारो मे बोलकर कुछ गुनहगार बन गये है लब्जो से कुछ भी बोलना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 346 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 2 Nov 2016 · 1 min read तो सच बताएगा कौन? अगर दोनो रूठे रहे, तो फिर मनाएगा कौन? लब दोनो ने सिले, तो सच बताएगा कौन? तुम अपने ख़यालो मे, मै अपने ख़यालो मे यदि दोनो खोए रहे, तो फिर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 474 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 25 Oct 2016 · 1 min read देश का बुरा हाल है|| हर किसी की ज़ुबाँ पर बस यही सवाल है करने वाले कह रहे, देश का बुरा हाल है|| नेता जी की पार्टी मे फेका गया मटन पुलाव जनता की थाली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 504 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 24 Oct 2016 · 1 min read सरहद सरहद, जो खुदा ने बनाई|| मछली की सरहद पानी का किनारा शेर की सरहद उस जंगल का छोर पतंग जी सरहद, उसकी डोर || हर किसी ने अपनी सरहद जानी... Hindi · कविता 406 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 19 Oct 2016 · 1 min read देने वाला देकर कुछ कहता कहाँ है|| हर पहर, हर घड़ी रहता है जागता बिना रुके बिना थके रहता है भागता कुछ नही रखना है इसे अपने पास सागर से, नदी से, तालाबो से माँगता दिन रात... Hindi · कविता 427 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 13 Oct 2016 · 1 min read कहीं कुछ भी नही है सब कुछ है धोखा कुछ कहीं नही है है हर कोई खोया ये मुझको यकीं है ना है आसमां ना ही कोई ज़मीं है दिखता है झूठ है हक़ीकत नही... Hindi · कविता 1 1 335 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 12 Oct 2016 · 1 min read अदालत मे खुदा होगा जलाल उल्लाह जब रोजे कयामत पर खड़ा होगा ना जाने हम गुनहगारो का उस दम हाल क्या होगा|| करेंगे नॅफ्सी-नॅफ्सी और जितने भी है पेगेम्बर मोहम्मद लेकर जब झंडा सिफायत... Hindi · कविता 455 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 12 Oct 2016 · 1 min read एक तुच्छ बूँद सा जीवन दे दो फसल खड़ी है खेतो मे उष्णता उन्हे जलाती है धधक रही है धरती भी पर बूँद नज़र नही आती है|| किनारे बैठ मै देख रहा बच्चे जो मेरे झुलस रहे... Hindi · कविता 437 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 6 Oct 2016 · 1 min read एक दीप जलाया था मैने तम के उस गहरे साये से अस्तित्व विहीन समाए से निशा के उद्वेलित आवेशो से अंतः मन मे घबराए से तेरी शरण मे आकर कुछ ऐसे बचाया था मैने एक... Hindi · कविता 375 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 4 Oct 2016 · 1 min read मुझे चलना है बस चलने दो मै राह चला हूँ प्रीत मिलन की मुझे चलना है बस चलने दो || प्रीत लगी जब दिव्य ओज से उस ओज मे जाकर मिलना है मोह पतंगे को ज्वाला... Hindi · कविता 429 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 19 Sep 2016 · 1 min read सफ़र आसान हो जाए गुमनाम राहो पर एक नयी पहचान हो जाए चलो कुछ दूर साथ तो, सफ़र आसान हो जाए|| होड़ मची है मिटाने को इंसानियत के निशान रुक जाओ इससे पहले, ज़हां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 495 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 13 Sep 2016 · 1 min read रातभर तुम्हारे बारे मे लिखा मैने उस रात नीद नही आ रही थी, कोशिश थी भुला के तेरी यादे बिस्तर को गले लगा सो जाऊ पर कम्बख़्त तू थी जो कहीं नही जा रही थी|| नीद... Hindi · कविता 426 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 8 Sep 2016 · 1 min read मेरे साथ चलता नही मंज़िल पर मिलने वाले बहुत है यहाँ क्यो कोई रास्तो पर नही मिलता धूप भी इतनी तेज है तेरे शहर मे, मेरा साया भी मेरे साथ चलता नही || ©... Hindi · शेर 378 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 30 Aug 2016 · 2 min read क्या है किस्मत? किस्मत क्या है, आख़िर क्या है किस्मत? बचपन से एक सवाल मन मे है, जिसका जबाब ढूंड रहा हूँ| बचपन मे पास होना या फेल हो जाना या फिर एक... Hindi · लेख 578 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 30 Aug 2016 · 1 min read माना मै मर रहा हूँ बेटो के बीच मे गिरे है रिश्तो के मायने कैसे कहूँ कि इस झगड़े की वजह मै नही हूँ | कुछ और दिन रुक कर बाट लेना ये ज़मीं माना... Hindi · मुक्तक 608 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 22 Aug 2016 · 1 min read कुछ आस नही लाते हर मोड़ पर मिलते है यहाँ चाँद से चेहरे पहले की तरह क्यो दिल को नही भाते || बड़ी मुद्दतो बाद लौटे हो वतन तुम आज पर अपनो के लिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 338 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 16 Aug 2016 · 1 min read क्या सचमुच शहर छोड़ दिया अपने शहर से दूर हूँ, पर कभी-२ जब घर वापस जाता हूँ तो बहाना बनाकर तेरी गली से गुज़रता हूँ मै रुक जाता हूँ उसी पुराने जर्जर खंबे के पास... Hindi · कविता 583 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 16 Aug 2016 · 1 min read लाजबाब हो गयी चाहने वालो के लिए एक ख्वाब हो गयी सब कहते है क़ि तू माहताब हो गयी जबाब तो तेरा पहले भी नही था पर सुना है क़ि अब और लाजबाब... Hindi · शेर 390 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 12 Aug 2016 · 1 min read तब तक समझो मे जिंदा हूँ जब तक आँखो मे आँसू है तब तक समझो मे जिंदा हूँ|| धरती का सीना चीर यहाँ निकाल रहे है सामानो को मंदिर को ढाल बना अपनी छिपा रहे है... Hindi · कविता 373 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 4 Aug 2016 · 1 min read प्यार नाम है कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय प्यार नाम है बरसात मे एक साथ भीग जाने का प्यार नाम है धूप मे एक साथ सुखाने का || प्यार नाम है समुन्दर को साथ पार... Hindi · कविता 896 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 4 Aug 2016 · 1 min read अगर भगवान तुम हमको, कही लड़की बना देते अगर भगवान तुम हमको, कही लड़की बना देते जहाँ वालों को हम अपने, इशारो पर नचा देते|| पहनते पाव मे सेंडल, लगाते आँख मे काजल बनाते राहगीरो को, नज़र के... Hindi · कव्वाली 1 2 753 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 2 Aug 2016 · 1 min read फ़ौज़ी का खत प्रेमिका के नाम कितनी शांत सफेद पड़ी चहु ओर बर्फ की है चादर जैसे कि स्वभाव तुम्हारा करता है अपनो का आदर|| जिस हिम-शृंखला पर बैठा कितनी सुंदर ये जननी है| बहुत दिन... Hindi · कविता 2 607 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 31 Jul 2016 · 1 min read मैने तुम पर गीत लिखा है एक नही सौ-२ है रिस्ते है रिस्तो की दुनियादारी, कौन है अपना कौन पराया जंजीरे लगती है सारी तोड़के दुनिया के सब बंधन तुमको अपना मीत लिखा है|| मैने तुम... Hindi · कविता 2 442 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 29 Jul 2016 · 2 min read मकान की यादे मकान का बाहरी कमरा जहाँ दादा जी रहते थे| ना जाने सोते थे कब, बस जागते रहते थे पिताजी डाँटते थे जब भी मुझे दादा जी बचाते थे तुझसे कम... Hindi · कविता 835 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 25 Jul 2016 · 1 min read हम बनाएँगे अपना घर हम बनाएँगे अपना घर होगा नया कोई रास्ता होगी नयी कोई डगर छोड़ अपनी राह तुम चली आना सीधी इधर|| मार्ग को ना खोजना ना सोचना गंतव्य किधर मंज़िल वही... Hindi · कविता 827 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 25 Jul 2016 · 1 min read क्यो कहते हो मुझे दूसरी औरत कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय मै गुमनाम रही, कभी बदनाम रही मुझसे हमेशा रूठी रही शोहरत, तुम्हारी पहली पसंद थी मै फिर क्यो कहते हो मुझे दूसरी औरत || ज़ुबान से स्वीकारा... Hindi · कविता 846 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 1 Jul 2016 · 1 min read ऐसी मेरी एक बहना है ऐसी मेरी एक बहना है नन्ही छोटी सी चुलबुल सी घर आँगन मे वो बुलबुल सी फूलो सी जिसकी मुस्कान है जिसके अस्तित्व से घर मे जान है उसके बारे... Hindi · कविता 527 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 30 Jun 2016 · 1 min read तेरे शहर मे गुज़ारी थी मैने एक जिंदगी तेरे शहर मे गुज़ारी थी मैने एक जिंदगी पर कैसे कह दूं हमारी थी एक जिंदगी || जमाने से जहाँ मेने कई जंग जीत ली वही मोहब्बत से हारी थी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 514 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 28 Jun 2016 · 1 min read मुझे मेरी सोच ने मारा नही जख़्मो से हूँ घायल, मुझे मेरी सोच ने मारा || शिकायत है मुझे दिन से जो की हर रोज आता है अंधेरे मे जो था खोया उसको भी उठाता... Hindi · कविता 617 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 28 Jun 2016 · 1 min read सहारा ना था कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय वक़्त को क्यो फक़्त इतना गवारा ना था जिसको भी अपना समझा, हमारा ना था|| सोचा की तुम्हे देखकर आज ठहर जाए ना चाह कर भी भटका... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 461 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 28 Jun 2016 · 2 min read कहाँ आ गया हूँ ? कल सुबह से घर पर बैठे-२ थक चुका था और मन भी खिन्न हो चुका था शुक्रवार और रविवार का अवकाश जो था, तो सोचा कि क्यो ना कही घूम... Hindi · लेख 2 539 Share शिवदत्त श्रोत्रिय 5 Jun 2016 · 1 min read जिंदगी के उस मोड़ पर कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय जिंदगी के उस मोड़ पर(यह कविता एक प्रेमी और प्रेमिका के विचारो की अभिव्यक्ति करती है जो आज एक दूसरे से बुढ़ापे मे मिलते है ३० साल... Hindi · कविता 2 1k Share