कवि संजय कौशाम्बी Tag: मुक्तक 22 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कवि संजय कौशाम्बी 22 Mar 2020 · 1 min read हम भी गुनहगार हो गये चोरों की हिफाजत में, असरदार हो गए जब से है सुना हम भी ख़बरदार हो गये दिखलाते शराफत तो सजा काटनी थी तय अच्छा हुआ कि हम भी गुनहगार हो... Hindi · मुक्तक 1 279 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read जीत के इस हार की जीत के इस हार की किसको जरूरत है टूटते पतवार की किसको जरूरत है प्यार के हथियार से ही जीत लूँगा जंग तीर की तलवार की किसको जरूरत है Hindi · मुक्तक 1 430 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read कमजोरियाँ बैठी सदा.... कमजोरियाँ बैठी सदा सरगोशियाँ करती रहीं बातें हमेशा होश की बेहोशियाँ करती रहीं करते रहे वो बदजुबानी शोरगुल का जोर था फिर भी फ़तह हर जंग को खामोशियाँ करती रहीं Hindi · मुक्तक 460 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read जरूरत क्या है बेवज़ह वक्त़ बदलने की जरूरत क्या है तुझे तूफान में जलने की जरूरत क्या है सजाए बैठा हूँ कमरा ए दिल तुम्हारे लिए आस्तीनों में यूँ पलने की जरूरत क्या... Hindi · मुक्तक 523 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read बिन तेल जलाओ तो जानू बिन ताप प्रताप पहाड़ों के हिम को पिघलाओ तो जानू प्रेम के भाव को त्याग किसी शिशु को बहलाओ तो जानू तन सुन्दर कीमती वस्त्र तो क्या बिन भाव अधूरा... Hindi · मुक्तक 379 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read सड़ना पड़ता है कीमत यूँ ही नही बढ़ती रत्नों को जड़ना पड़ता है सिर पर ताज सजाने को कितनो से लड़ना पड़ता है ऐसे ही नहीं उगता सोना जाकर के देखो खेतों में... Hindi · मुक्तक 199 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read जातियों में बँट गया शहरातियों में बँट गया देहातियों में बँट गया ज़र्रा ज़र्रा मुल्क का आघातियों में बँट गया कैसे तरक्की पाएगा इंसान जो कि चुनाव में धर्म में कभी बँट गया कभी... Hindi · मुक्तक 220 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read खत को पढ़ा नहीं चेहरे पे लगाने को मुखौटा गढ़ा नहीं शायद इसीलिए मेरा रुतबा बढ़ा नहीं कागज पे रख दिया था मैने दिल निकालकर पर तुमने कभी खोल के खत को पढ़ा नहीं Hindi · मुक्तक 1 229 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read प्रतीकों से धरा गर.. प्रतीकों से धरा गर देश की वीरान हो जाए समूचे विश्व में भारत की धूमिल शान हो जाए यहाँ हिन्दुत्व की थाती सँभालेगा कोई क्यों कर विवेकानन्द की मूरत का... Hindi · मुक्तक 229 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read रानी तो किसी और की है लहर में देख रवानी तो किसी और की है मैं हूँ किरदार कहानी तो किसी और की है खेल कैरम का था पर हमने इशारों में कहा गोटियाँ ले जा... Hindi · मुक्तक 332 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read मैं रोया नहीं इसलिए च़हरा गमों की धूप में..लाजिम था धो पड़ो सुध-बुध गँवा के..होश को महफिल में खो पड़ो आँसू तो मिरी आँख में भी कम न थे मगर मैं रोया नहीं इसलिए..के... Hindi · मुक्तक 1 2 226 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read अर्थी को भी कंधा नहीं दिया है कौन जिसको माया का फंदा नहीं दिया अब तक खुदा ने नेक वो बंदा नहीं दिया मैने बरात छोड़ी क्या उस शख्स की 'संजय' उसने मिरी अर्थी को भी... Hindi · मुक्तक 389 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read मैं तो मजे में हूँ बताऊँ क्या मैं भला तुझको कै़फि़यत अपनी मैं तो मजे में हूँ तू सोच ख़ैरियत अपनी नहीं तुझे ही महज है गुरूर अपने पर हर एक शख्स की होती है... Hindi · मुक्तक 729 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read हम सा किरदार न पाओगे उम्र कटे कितनी भी पर खुद से बेजा़र न पाओगे दिल में एक ही कमरा है इसमें दीवार न पाओगे है वजूद सबका अपना तौहीन नहीं करता लेकिन रंगमंच पर... Hindi · मुक्तक 232 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read मिरे मरने की दुआ कौन करे कश्तियाँ सबकी हैं समंदर में कहो लहरों से वफा कौन करे दुश्मनों को भी अब नहीं फुरसत मिरे मरने की दुआ कौन करे Hindi · मुक्तक 221 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read बेवजा वो खफ़ा नहीं होता दिल से जो आशना नहीं होता उसको खुद का पता नहीं होता आपने की है कोई गुस्ताख़ी बेवजा वो खफ़ा नहीं होता Hindi · मुक्तक 179 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read वही होगा जो होना है लगी हैं बंदिशें हम पर न हँसना है न रोना है हमारे हाथ में टूटे हुए दिल का खिलौना है हथेली की लकीरों से लड़ो दिल खोलकर लेकिन हकीकत तो... Hindi · मुक्तक 260 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read जिंदगी भी हवालात जैसी लगी दो घड़ी की मुलाकात ऐसी लगी पूछिए न ये हमसे कि कैसी लगी फर्ज की बेड़ियों ने यूँ बाँधा हमें जिंदगी भी हवालात जैसी लगी Hindi · मुक्तक 430 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read वो जो अच्छा सा वक़्त है 'संजय पहले से ज्यादा सख्त लगता है एक सूखा दरख़्त लगता है वो जो अच्छा सा वक़्त है 'संजय' उसे आने में वक़्त लगता है Hindi · मुक्तक 232 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read बड़ी बदनामियों के बाद मिला हूँ आज ही खुद से कई गुमनामियों के बाद सफलता आई मुट्ठी में बड़ी नाकामियों के बाद निशां कदमों के उसके खोजता फिरता रहा लेकिन मिली शोहरत भी हमको... Hindi · मुक्तक 284 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read काम आएगा जला जलकर हुआ जो अस्थिपंजर काम आएगा बसा लो आँख में अपने ये मंजर काम आएगा लगाकर धार देता हूँ तुम्हें रखना सलीके से करोगे कत्ल जब मेरा ये खंजर... Hindi · मुक्तक 258 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read जिन्हें है शौक दिखाता है जो हमको रौब सत्ता के ठिकाने का मिला करता है उसको काम बस चादर बिछाने का अना कहती है उसके साथ मत रहना कभी 'संजय' जिन्हें है शौक... Hindi · मुक्तक 467 Share