Rekha Drolia Tag: कविता 180 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rekha Drolia 7 Dec 2024 · 1 min read डर ता उम्र भागता रहा इसके उसके सबके पीछे उतना ही उसने भगाया जितना भागा पीछे पीछे नुक्कड़ नुक्कड़ द्वारे द्वारे गली गली गलियारे सारे न दिन देखा न रतिया कारी... Hindi · कविता 1 1 28 Share Rekha Drolia 24 Nov 2024 · 1 min read कभी कभी कहना अच्छा होता है हँस के कहो या रो के कहो गुस्से से कहो या चिल्ला के कहो धीरे से कहो या मौन से कहो दुख से कहो या खिल्ला के कहो कहते तो... Hindi · कविता 2 30 Share Rekha Drolia 26 Oct 2024 · 1 min read इस दिवाली … छज्जे आले छत चौबारे देहरी द्वारे दीप जगमग जगमग ज्यूँ अंबर तारे तुम भी लौट घर को जाना इस दिवाली तिमिर मिटाना घर तुम बिन सूना ख़ाली पहला दीप जलाना... Hindi · कविता 47 Share Rekha Drolia 15 Aug 2024 · 1 min read ये कैसी आज़ादी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ तो हमने बेटी पढ़ाई पर वो बेटी है लड़की ये बात समझा ना पाई समझा न पाई कि… बाँध कर रखना छाती को दुपट्टे से कस... Hindi · कविता 1 93 Share Rekha Drolia 10 Aug 2024 · 1 min read कश्मीर श्वेत धवल गिरि अचल कनक रश्मि का कंबल पिघल रहा आलिंगन में निर्झर कल कल छल छल बहर में बहती गाती झेलम पूछ रही कुशल मंगल पन्नों की मोहताज नही... Hindi · कविता 1 119 Share Rekha Drolia 6 May 2024 · 1 min read क्या क्या बदले बहना बाबुल मैया बदले आँगन अमिया सखियाँ बदले उमंग तरंग प्रसंग बदले जीने के भी ढंग बदले काया साया छाया बदले आत्मा अंतस् अमाया बदले चाल ढाल ख़्याल बदले मन... Hindi · कविता 2 127 Share Rekha Drolia 4 Apr 2024 · 2 min read निकलो… मकड़ी स्वयं कहाँ फँसती है चाहे जितने भी जाल बिछाये रिश्ते स्तिथि या ख़्याल जाल से हम निकल न पाये निकलो,निकलो वहाँ से जहां तुम हो न हो कोई फ़र्क़... Hindi · कविता 2 134 Share Rekha Drolia 2 Apr 2024 · 1 min read सत्य की खोज प्रत्यक्ष है पर दिखता नहीं चीखता है पर सुनता नहीं भान है पर मान नहीं निशब्द मौन हर कहीं क्यूँ है सत्य मूक क्यों नहीं कहता दो टूक क्या सुनती... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 1 219 Share Rekha Drolia 2 Apr 2024 · 1 min read सत्य की खोज मैं हर पल इधर उधर न जाने किधर किधर ढूँढती रही आठों पहर सच मिले चुटकी भर कभी उसकी बातों में बेवजह मुलाक़ातों में संग गुज़ारी रातों में मोहब्बत के... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 4 148 Share Rekha Drolia 17 Mar 2024 · 2 min read माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी आज हाथ लगी माँ की ज़िंदगी की किताब धूल भरे पन्नों में दबे थे क़िस्से और ख़्वाब अल्मस्त बचपन था बेसुध बेफ़िकर यौवन फ्रॉक से साड़ी तक के सफ़र का... Hindi · कविता 1 112 Share Rekha Drolia 10 Feb 2024 · 1 min read मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर अल्हड़ मन मेरा चहके सौंधी मिट्टी सा महके जैसा चाहे ढल जाए ज़िंदगी की चाक पर मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर उत्सव है मन का गाँव थिरक... Hindi · कविता 1 195 Share Rekha Drolia 20 Jan 2024 · 1 min read बलराम विवाह रेवतक राजा सतयुग माही। सुता रेवती जैसी कोई नही।। गुणी सयानी शिक्षित नारी। सुयोग्य वर की चिंता भारी।। भूपति ने सकल जग छाना। मिलहि न वर सुता सम जाना।। ब्रह्मदेव... Hindi · कविता 1 126 Share Rekha Drolia 30 Dec 2023 · 1 min read सृजन टूटने से क्यों कर डरना छूटने का भय क्यों करना अंत ही तो आरंभ का प्रमाण है टूट टूट बिखर क्यों मरना टूट कर मिलता नव जीवन होता है सुंदर... Hindi · कविता 1 267 Share Rekha Drolia 18 Dec 2023 · 1 min read द्वारिका गमन कृष्ण ने कंस को वध किन्हा। कृष्ण वध जरासंध प्रण लिन्हा।। आठों याम एक ही विचारा। यदुओं पर आक्रमण बारम्बारा।। ले यवनी दल घेरो मथुरा द्वारा। कृष्ण कर दियो रिपु... Hindi · कविता 262 Share Rekha Drolia 8 Dec 2023 · 1 min read रुक्मिणी संदेश विदर्भ देश जहँ भीष्मक नरेश। तहाँ रुक्मिणी थी सुता भेष।। स्वरूपवती सुभग सयानी। सर्वगुणी सों सब विधि जानी।। सुनि कृष्ण रूप लीला ललामा। भजति हृदय महँ आठों यामा ।। प्रेम... Hindi · कविता 1 252 Share Rekha Drolia 8 Nov 2023 · 1 min read ओ लहर बहती रहो … चाँदनी को दे रही विदाई उनीन्दी पलक अँगड़ा जागी लहर ललाट धनक अलक तीर पर उतरी नहाने कनक रश्मि कुनकुनी ओ लहर बहती रहो कर सब अनसुनी पग बूँदों की... Hindi · कविता 1 4 291 Share Rekha Drolia 9 Oct 2023 · 1 min read घर छोड़ गये तुम ममता के ख़ज़ाने से मुँह मोड़ गए तुम चंद सिक्कों की ख़ातिर घर छोड़ गए तुम घर की शून्यता निगल रही है धीरे धीरे उम्मीद का हर कतरा निचोड़ गए... Hindi · कविता 1 2 250 Share Rekha Drolia 16 Sep 2023 · 1 min read क्या ऐसी स्त्री से… न पैरों की जूती न जाने जी हज़ूरी न पति परमेश्वर न आधी अधूरी न पौरुष न अहंकार ने जीता राम मिले तो बन गई सीता न चाटुकारिता की चाशनी... Hindi · कविता 1 479 Share Rekha Drolia 2 Sep 2023 · 1 min read झुंड झुंड ही तो है… ख़्वाबों का ख़्यालों का जवाबों का सवालों का अधूरी मुलाक़ातों का अनचाही सौग़ातों का रिश्तों का कुछ वादों का पाक नापाक इरादों का अधूरे बिखरे सपनों... Hindi · कविता 1 1 253 Share Rekha Drolia 19 Aug 2023 · 1 min read मैं घाट तू धारा… मैं बनारस का घाट तू गंगा की धारा तेरा स्पर्श पावनी मैं पावन हुआ सारा प्रीत अर्घ्य हर लहर दे दे हुआ पत्थर तू बह निकली देखा न मुड़ के... Hindi · कविता 1 377 Share Rekha Drolia 5 Aug 2023 · 1 min read क्या अब भी तुम न बोलोगी कब तक चुप रहोगी कब तक मुँह न खोलोगी क्या बाक़ी रह गया सहने को क्या अब भी तुम न बोलोगी तुमको बेलन उनको कलम अधिकारों की परिपाटी प्रजनन का... Hindi · कविता 3 1 221 Share Rekha Drolia 8 Jun 2023 · 1 min read तू बस झूम… एक सितारा ही तो टूटा तू क्यों फिरता रूठा रूठा लाख सितारे देख जड़े हैं अंबर के आँचल में पड़े हैं एक मुक़द्दर तेरा लिखेगा होना है जो हो कर... Hindi · कविता 357 Share Rekha Drolia 1 Jun 2023 · 1 min read मुर्दा समाज फिर एक चित्कार गूंज उठी फिर शून्य से टकराकर लौटी एक दरिंदे का वहशीपन देखा देखी दुनिया की चाल मुखौटी वार पर वार बेरहमी अत्याचार पर दुनिया के कान पर... Hindi · कविता 273 Share Rekha Drolia 20 May 2023 · 1 min read ……..नाच उठी एकाकी काया संबंधों की टहनी टाँके फूल वक्त बदला बन गये शूल झूठ का आडंबर रचा है रिश्ते हैं या एक सज़ा है विरक्ति हो गई है कबसे इससे उससे शायद सबसे... Hindi · कविता 235 Share Rekha Drolia 7 May 2023 · 1 min read नहीं लगता.. अब चले भी आओ की दिल नहीं लगता लगता है की लग गया है पर नहीं लगता उसने कहा बस चंद दिनों की तो बात है लौट कर वो आएगा... Hindi · कविता · ग़ज़ल 293 Share Rekha Drolia 10 Apr 2023 · 1 min read जीवन बीते कल को कस के है पकड़े आने वाले कल के भय में है जकड़े इस पकड़ा पकड़ी में आज रहा निकल कण कण मुट्ठी से जीवन रहा फिसल मुट्ठी... Hindi · कविता 318 Share Rekha Drolia 25 Mar 2023 · 1 min read कवि की कल्पना हरे हरे शामियाने में अमलतास के झूमर श्वेत सलोनी कामिनी झरे हवा में करती घूमर नैन मटक्का संध्या संग करे सिंदूरी गुलमोहर पात पात झूम रहे पीत कृष्णचूड़ा मनोहर ओस... Hindi · कविता 417 Share Rekha Drolia 8 Mar 2023 · 1 min read नारी वो…जो.. नारी वो नभ जो सूरज को गोद खिला ले नारी वो रात जो चंदा को माथे सजा ले नारी वो नीर जो पर्वत चीर जाए निकल नारी वो जल जो... Hindi · कविता 1 2 318 Share Rekha Drolia 24 Feb 2023 · 1 min read जब जब …… जब जब टूट बिखरती हूँ मैं कविता में सिमटती हूँ कुछ शब्द उबारे डूबी धड़कन बटोरे आंसू पलकन पलकन अक्षर अक्षर बारे उम्मीद बाती शब्द सेतु बांधे विचलित मन भावों... Hindi · कविता 238 Share Rekha Drolia 4 Feb 2023 · 1 min read ये ज़िंदगी क्या सँवर रही…. तप रही कभी पिघल रही पल पल मुट्ठी फिसल रही उस पार लगी या भँवर रही ये ज़िंदगी क्या सँवर रही कुछ ठोकरें कुछ नसीहतें कुछ रंग बदलती सोहबतें दुआ... Hindi · कविता 191 Share Rekha Drolia 21 Jan 2023 · 1 min read फूली सरसों… सुदूर गगन की छाँव प्रीत पैंजनिया पाँव इठला इठला नर्तन झूमी सरसों वन वन धूप से आँख मिचोली मेड़ों पर हंसी ठिठोली अलसी संग हिल हिल कानाफूसी मिल मिल कनक... Hindi · कविता 349 Share Rekha Drolia 1 Jan 2023 · 1 min read पर खोल… नए साल की शुरुआत कर ले पर खोल चल उड़ ले….. शैल सा शील धर ले पीर के पर्वत चढ़ ले हो हौसला चट्टानों सा ऊँचाइयाँ तय कर ले पर... Hindi · कविता 282 Share Rekha Drolia 19 Dec 2022 · 1 min read लांघो रे मन…. जो लाँघी रेखाएँ तो होंगे महायुद्ध कहते आए वेद पुराण गुणी प्रबुद्ध पर जो न तोड़ती सीमाएँ तो बहती कैसे सरिताएँ सरहदों के पार बहती कैसे स्वच्छंद चंचल हवाएँ पंछी... Hindi · कविता 1 228 Share Rekha Drolia 15 Dec 2022 · 1 min read कविता कविता जब बह निकली काग़ज़ पर कहाँ उतरी पहले उतरी अंतर्मन पर ज्यूँ नाव उतरती पानी पर शब्दों की पतवार थामे भाव हौले हौले गोते खाते रह रह कर मन... Hindi · कविता 458 Share Rekha Drolia 12 Dec 2022 · 1 min read धूप बादलों से लड़ के पेड़ों पर चढ़ के छत पर कूदी अल्हड़ धूप खिड़की से झांके आँगन में भागे दिप दिप दमके यौवन रूप जल पर नर्तन चमके लोचन इत... Hindi · कविता 282 Share Rekha Drolia 10 Dec 2022 · 1 min read अंतर्घट धीरे धीरे आप अपने अंतर्मन की पीड़ा पीते जाते हो अंतर्घट भरने लगता है फिर एक दिन छलक उठता है पीड़ा जब हद से ज़्यादा हो जाती है तो बहने... Hindi · कविता 1 209 Share Rekha Drolia 9 Dec 2022 · 1 min read तनहा कभी किंचित कोशिश कभी पूरा प्रयास किसी का तो हो जाऊँ बस इतनी थी आस समय गँवा दिया हर का होने में अब अकेला तनहा बैठा हूँ कोने में रेखांकन।रेखा Hindi · कविता 1 616 Share Rekha Drolia 18 May 2022 · 1 min read एकाकीपन एकाकीपन मैं और मेरा एकाकीपन सूना सूना सा जीवन बींध जाती अंतर्मन नीरवता की वो चुभन मौन का है हाहाकार चुप्पी काँधे पर सवार खामोशी का अंधकार कौन बोले अबकी... Hindi · कविता 3 5 524 Share Rekha Drolia 12 May 2022 · 1 min read धुँध धुँध धुँध पड़ गयी रिश्तों में रंजिशों को पकड़े है लाख जतन कर छूटे ना शक का कोहरा जकड़े है धुंधला गई तनहा यादें मलालों का कुहासा है तल्खियों के... Hindi · कविता 1 1 403 Share Rekha Drolia 4 May 2022 · 1 min read हम और तुम जैसे….. हम और तुम जैसे….. हम और तुम जैसे रेल की पटरी साथ तो हैं मगर जुदा जुदा मानो तुम मुझसे मैं तुझसे कुछ ख़फ़ा ख़फ़ा या सड़क के दो किनारे... Hindi · कविता 8 12 432 Share Rekha Drolia 14 Apr 2022 · 1 min read कभी भीड़ में… कभी भीड़ में…. कभी भीड़ में या अकेले में खो गया दुनिया के मेले में हर तरफ़ आदमी ही आदमी जिस्म ओढ़े रूह की है कमी सब कह रहे सुन... Hindi · कविता 2 2 475 Share Rekha Drolia 14 Apr 2022 · 1 min read ढह गया … ढह गया … ढह गया सपनों का महल खंडहर हो गई ख्वाहिशें बेवफ़ाई की बुनियाद पर बिखरी इश्क़ की बंदिशें वीरां हुई मन की कोठरी सपनों पर लगी सीलन दहलीज़... Hindi · कविता 3 2 292 Share Rekha Drolia 3 Apr 2022 · 1 min read जुनून जुनून कह गया कोई झट से ऐसे वैसे ही बस फट से औरतों में होता है क्या शक्ल के अलावा अक़्ल नही रित्ते भर की बस है दिखावा दिखावा करते... Hindi · कविता 1 1 188 Share Rekha Drolia 18 Mar 2022 · 1 min read होरी में पिया …. होरी में पिया …. ऐसो डारो तूने रंग पिया भीगी चूनर भीगी अंगिया आग लगा गयो भीगो तन बावरी भई मन की बगिया आलिंगन तोसे फाग में झंकृत उर प्रणय... Hindi · कविता 399 Share Rekha Drolia 8 Mar 2022 · 1 min read छुअन की चुभन छुअन की चुभन ये छूना भी अलग अलग होता है क्या स्कूल में थी तब मुझे क्या पता काश़ बचपन में माँ ने समझाया होता छूने छूने का फ़र्क बताया... Hindi · कविता 2 492 Share Rekha Drolia 19 Feb 2022 · 1 min read ये दरारें .,. ये दरारें ये सिलवटें जो जबीं पे पड़ी हैं भँवर में सफ़ीना लहरें विकराल बड़ीं हैं तेरे ज़द पे हूँ मैं ज़िंदगी खबर है मुझे तौफ़ीक़ बदलेगी तक़दीर ज़िद पे... Hindi · कविता 207 Share Rekha Drolia 11 Feb 2022 · 1 min read चीरहरण चीरहरण चुभते हैं इस ज़माने को मेरे खुले विचार मुझे उनकी तीक्ष्ण पैनी निगाहों की धार जो बाण सी चीरती आड़ मेरे दुकूल की चिथड़े चिथड़े कर देती है मेरी... Hindi · कविता 364 Share Rekha Drolia 5 Feb 2022 · 1 min read अब तो आजा … अब तो आजा… बसंती हिय अनुराग में पीरी प्रीत मधु माघ में ढूँढे तुझे व्याकुल नयन अब तो आजा फाग में चुन ताना मारे कोयरिया प्रमत्त करे बौरी मंजरियाँ सरसों... Hindi · कविता 1 4 585 Share Rekha Drolia 28 Jan 2022 · 1 min read गुलाबों सा … गुलाबों सा मैं महकता ही नही और ख़ार कोई चुनता ही नही तेरी उन्सियत का मलाल न था कमबख़्त दर्द ये जाता ही नहीं उल्फ़त में तेरी कर लूँ बग़ावत... Hindi · कविता 251 Share Rekha Drolia 21 Jan 2022 · 1 min read ज़िंदगी ज़िंदगी … तेरे काँधे पे रख अपना सर ओढ़ गुनगुनी धूप की चादर सिमट जाऊँ तेरे आग़ोश में थोड़ी बहकी थोड़ी होश में इश्क़ में खुद को संवार लूँ लम्हों... Hindi · कविता 267 Share Page 1 Next