RAMESH Kumar Tag: कविता 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid RAMESH Kumar 12 Aug 2024 · 1 min read ये जरूरी तो नहीं ये जरूरी तो नहीं चलता हूं राह का पथिक बनकर। हर समय मंजिल मिले। ये जरूरी तो नहीं।। अपनो की भीड़ में अकेले है हम। हक के लिए चुप रहूं।... Hindi · कविता 151 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read लो ना यार दिल में है जो गुब्बार उसे निकालो ना यार। वो शख्स अपनी जान है उसे मना लो ना यार।। ईर्ष्या द्वेष घृणा सब को हटा लो ना यार। दो दिन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 122 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read राह का पथिक चलता हूं राह का पथिक बनकर। हर समय मंजिल मिले। ये जरूरी तो नहीं।। अपनो की भीड़ में अकेले है हम। हक के लिए चुप रहूं। ये जरूरी तो नहीं।।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 117 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read हक जता संकू कुछ ऐसा करो मैं हक जाता सकूं। दिल में है जो उलझने उसे बता सकूं।। जिंदगी तो जी सकता नही तेरे संग। कुछ पल तो है जो संग बिता संकू।।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 115 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read वक्त जाया नहीं करते वक्त जो मिले उसे जाया नही करते। कष्ट को अपनो से छिपाया नहीं करते।। तकलीफे रुक रुक कर गिरती है मगर। हिम्मत की दीवार गिराया नही करते।। हर कोई फंसा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 174 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read कैसे? पी रहा हूं जो दर्द रुक रुककर तुम्हे बताऊं कैसे? खुद ही नहीं जानता दर्द ए ख्याल तुम्हे जताऊं कैसे? फर्क नहीं पड़ता तुम्हारी मौजूदगी का अब तुम्हे समझाऊं कैसे?... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 120 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read टूटे अरमान टूटे अरमान ये कहने लगे। हिम्मत नही इसलिए सहने लगे। जरा सी चोट लगी आंसू बहने लगे। पत्थर थे कि वो कब डहने लगे।। गुजारिश थी कि मेरे हाल पर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 166 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read समय का भंवर फंसा रहा मैं समय के उस भंवर में। जिस समय की कोई चाल ही ना थी।। उलझा रहा मैं संगीत के उस स्वर में में। जिस स्वर की कोई ताल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 143 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read आजादी का अमृत गौरव आजादी का हूं अमृत गौरव यह एहसास कराने आया हू। विश्व पटल।पर भारत भूमि की अलख जगाने आया हू। चाचा नेहरू और बापू के सपनो का ये भारत है। दृष्टि... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 120 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read दुर्दशा खत्म किनारा,स्वाह जिंदगी,बदल गई तस्वीर। मरा धर्म,बढ़ा स्वार्थ, पाप बना बलबीर। 🥲🥲🥲🥲🥲🥲🥲🥲 फैला विष,खत्म काया,मिट्टी हुआ शरीर। दुखित मन,दूषित आत्मा,पंगु हुई तकदीर।। 😊😊😊😊😊😊😊😊 मैला आंचल,कुपित सवेरा,विजय हुआ अंधेरा। रचा षडयंत्र,फंसा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 113 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read दर्द को जरा सा कलम पर दर्द को जरा सा कलम पर क्या उतारा? जिंदगी हाथों हाथ बिकने लगी घर घर की चौखट पर। हर तरफ हाथ ही हाथ थे। पर मदद के लिए नही इसी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 139 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read देखा है बर्बादी का मंजर भी हमने देखा है खुद के हाथों में खंजर भी हमने देखा है। खुशियां तो लाए नही नापाक इरादे। खुद को खुद पर भी मिटते हमने देखा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 111 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read बावरा मन रे मन बावरे ये बता तू इतना तड़पाता क्यों है? फूल सी जिंदगी में कांटे बरसाता क्यों है? क्षणिक सी दुनिया के छलावे पर अपना हक जताता क्यों है? मुफलिसी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 120 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read आदमी और जीवन कभी कभी मन कुलाचे भरता है इस कद्र की आसमान छू लेगा। दूसरे छन्न गिरता है धड़ाम से यूं जमी भी कराह उठती है एक बार। ये जमीन आसमान की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 140 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read बेगाना वक्त जब वक्त बेगाना लगे ना तो गाने गुन गुनाया करो। किसी बच्चे की तरह बे वजह मुस्कराया करो।। जी तोड़ मेहनत कर पसीने खूब बहाया करो। रात का खाना बैठकर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 117 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read क्या सिला इतना जो मुस्करा रहे हो गम को छुपा लिया क्या? हल्के हल्के से लग रहे हो जिम्मेदारी निभा लिया क्या? उम्र 40 की भी लगती नहीं बचपन बिता लिया क्या?... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 175 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read तन्हा वक्त वक्त तन्हा हुआ तो क्या? तुमसे बात तो हो सकती है ना। दूरियां खास नहीं है हमारे बीच मुलाकात तो हो सकती है ना। गुफ्तगू करेंगे एक बार तुमसे बस... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 106 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read झोला कंधे पर टंगा ये झोला महज कपड़े का गठजोड़ नहीं है। इसमें मां बाप की उम्मीदें और रिश्तों की आशाएं भरी पड़ी है। इसका इतिहास शुरू होता है महज तीन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 123 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read विचित्र ख्याल कैसा विचित्र आ रहा ये ख्याल है। मन ही मन में उठ रहा ये बवाल है। अश्क तो आए ही नहीं नैनन से अब अजीब सा ये एक सवाल है।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 100 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read सवाल क्यों तुमने ही तो कहा था हम एक है। फिर इतना बवाल क्यों? मेरी चुप्पी पर भला अब तुम्हारा सवाल क्यों? मैं खुले में चलूं तो बदचलन हो जाती हूं। और... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 137 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read ज़मीर की खातिर आदमी हूं इसलिए टूट रहा हूं मैं। बालू सा हाथों से छूट रहा हूं मैं। उलझने इस कद्र बढ़ गई है यारो गुब्बारों की तरह फूट रहा हूं मैं। जोर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 97 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read राहगीर जिस राह पर चित शांत लगे। उस पर चलते रहना बस रुकना मत। वक्त तन्हा हुआ तो क्या है? कल खुशी के पल भी होंगे। नही होगा तो सिर्फ वो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 109 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read एक अधूरी चाह जमीं उसको मिली,जिसे अंबर की आस थी। समुंद्र उनको मिला,जिसे बूंदों की तलाश थी। हमारे हिस्से में तो सिर्फ एक अनुभव आया। जिसे खुद ही अपने मुकाम की प्यास थी।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 146 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read डर डर एक मात्र शब्द नही है बल्कि एक अनुभूति है जो विशालकाय शरीर को कंपा देती है एक बार।। डर जब बैठ जाता है ना श्रेष्ठ भी गौण हो जाता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 107 Share RAMESH Kumar 15 May 2024 · 1 min read द्वंद्व हो द्वंद्व हो जब अंतर्मन में किस से दुख बतलाऊ मैं कभी इधर तो कभी उधर कब तक मन समझाऊं मैं।। मन बावरा पल पल डोले किस खूटे बंधवाऊमैं अमन चैन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 105 Share RAMESH Kumar 14 May 2024 · 1 min read मन का उदगार मन का उदगार लिखूं या दिल का गुब्बार लिखूं । हालातों की हालत का तार तार सौ बार लिखूं।। लिखूं कलम से कैसे मैं तेरी बर्बादी का मंजर ये। रौंद... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 110 Share