डॉ मनीष सिंह राजवंशी 18 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ मनीष सिंह राजवंशी 18 Sep 2023 · 1 min read शायरी आजकल साथ मेरे अजीब इत्तेफाक हो रहे है। एक एक करके सभी चेहरे साफ हो रहे है ।। किरदार वही है पर नीयत बदल ली कुछ ने। आहिस्ता आहिस्ता सारे... Quote Writer 635 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 25 Jan 2023 · 1 min read शायरी यूं अधूरा सा हर ख्वाब, हर फसाना लगे। उनसे बिछड़े हुए अब तो, एक जमाना लगे।। न दिल में है कोई ख्वाहिश, ना कोई तमन्ना। किसी जलते हुए घर में,अपना... Hindi 200 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 23 Dec 2020 · 1 min read "मेरा रिश्ता" मेरा बस आप सबसे तो बना है प्यार का रिश्ता। कभी बातों की गपशप का कभी सुख दुख का रिश्ता। रहूँ मैं चाहता अब तो दिलों में आप सबके मैं।... Hindi · मुक्तक 8 6 393 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 22 Dec 2020 · 1 min read "जय माता दी" जय माता दी बोल रे भक्तों, जय माता दी बोल के।-२ जय माता दी बोल के भक्तों, अपनी किस्मत खोल ले। जय माता दी बोल रे भक्तों, जय माता दी... Hindi · गीत 7 381 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 22 Dec 2020 · 1 min read "मैं शिक्षक हूँ" मैं शिक्षक हूँ अपनी जिम्मेदारी समझता हूँ। सामाजिक उत्थान में हिस्सेदारी समझता हूं।। अग्रसर हो राष्ट्र निरंतर उन्नति के पथ पर। इस कर्तव्य में अपनी भागीदारी समझता हूँ।। क्या कुछ... Hindi · मुक्तक 8 7 385 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 22 Dec 2020 · 1 min read "इंसान को सीख" खुद को खुद ही सही कहने वाले ये तो समझ। इंसान को गलत होने का एहसास नहीं होता।। मिट जाती है अहिस्ता अहिस्ता हस्ती उसकी। जिसे औरो से ज्यादा खुद... Hindi · कविता 8 8 355 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 22 Dec 2020 · 1 min read मुक्तक हमने बहते हुए दरिया को रुकते हुए देखा है। उसे समंदर की लहरों में घुटते हुए देखा है।। ऐ नादान शक्स तेरी विसात ही क्या है यहाँ। हमने सिकंदर को... Hindi · मुक्तक 6 1 365 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read "एक दिन मेरे क्लास में" एक दिन मेरे क्लास में- एक दिन आ बैठी इक तितली मेरे ही क्लास मेंI देख लिया था मैने उसको पहले ही प्रयास मेंI कुछ अलसुलझी सी कुछ घबरायी कुछ... Hindi · कविता 7 3 506 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read "हमरे घरवा के दीपक बुझा गइल हो" तोहरे मथवा के बिंदिया छुड़ा गईल हो। हमरे घरवा के दीपक बुझा गइल हो-२ चार दिन भइल उनके गवना के अइले। छूटल नाही मेहदी उनके हथवा के पहिले। सन्देशवा सीमा... Hindi · गीत 8 3 299 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read "अटल जी को श्रद्धांजलि" गम है दिल मे नम है आंखें,एक सितारा टूट गया। दर्द है अब तो एक अटल जी,साथ तुम्हारा छूट गया। कौन बताएगा हमको अब,राजनीति की मर्यादा। कौन सिखाएगा सबको अब,जीना... Hindi · कविता 4 1 289 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read "शोर" हो गया अंधेर अब इसका ही शोर है। चोर खुद बना रहा ईमानदार को चोर है। सत्य ना झुका है ना हुआ कभी पराजित। लगा ले बाजुओ में तूं अब... Hindi · कविता 4 1 560 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read शायरी कैसा सैलाब खुद में समाए रक्खा। क्यो दर्द को दिल में यूं दबाए रक्खा। कभी कुछ कह सुन लिया होता तुमने। क्यो तुमने ये साथ लंबा ना बनाये रक्खा। वक्त... Hindi · शेर 4 487 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read शायरी ना उदासियां हो तुम्हे न गम फसाना हो। इस मुस्कुराहट का हर कोई दीवाना हो। यू सजाते रहना औरो के चेहरों पर खुशी। तुम्हारी दोस्ती को तरसता जमाना हो। @सर्वाधिकार... Hindi · शेर 3 453 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read "कभी कमजोर का कोई सहारा नहीं बनता" कभी कमजोर का कोई सहारा नहीं बनता। बिना बहाव की नदियों का किनारा नहीं बनता। जिंदगी से हारते है वो जो बुजदिल होते है। यूँ बिखरने वाला अपनों का प्यारा... Hindi · मुक्तक 6 437 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read "चलो अच्छा है" यह वक्त यूँ ही गुजर जाए तो भी चलो अच्छा है। कुछ हस्ती अपनी बिखर जाए तो भी चलो अच्छा है। जीता रहता हूँ हर वक्त इस नई उम्मीद के... Hindi · कविता 8 2 372 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read "शहर में बादल" " मेरे शहर में आज बादल ये बरस आये है।" मेरे शहर में आज बादल ये बरस आये है। ऐसा लगता है आवारा बहक आये है। मेरे शहर में आज... Hindi · कविता 5 483 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read "मैं चमकता सूरज हूँ" मैं चमकता सूरज हूँ। खो गया हूँ धुंध में,कुछ पल के लिए आज कल। मत समझना डूब गया,दुख की घनेरी रात में। मैं साथ हूँ विस्वास हूँ अपनों की जरुरत... Hindi · कविता 6 4 608 Share डॉ मनीष सिंह राजवंशी 21 Dec 2020 · 1 min read "कोरोना में जिंदगी की मुश्किल" अजीब दर्द है,उलझन है, तन्हाई है। जिंदगी मुश्किलों में उतर आई है। एक आस से नजरे देखती है उधर। जिधर से यादों की झलक आई है। सोचता हूँ क्या खत्म... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 18 41 1k Share