Comments (8)
24 Dec 2020 10:19 AM
कोसता रहा ताउम्र अपने ख़ज़ाने को
आग लगी, तो राख देखकर जाना
कितना कुछ था मेरे पास भी।
डॉ मनीष सिंह राजवंशी
Author
24 Dec 2020 08:31 PM
Thanks
23 Dec 2020 09:16 PM
Responsibility
22 Dec 2020 07:27 PM
अतिसुंदर !
डॉ मनीष सिंह राजवंशी
Author
24 Dec 2020 08:31 PM
Thanks
22 Dec 2020 02:15 PM
U r really arise of sun.
सुंदर रचना है, सटीक
Thanks