Pragya Goel Tag: मुक्तक 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pragya Goel 6 Jun 2022 · 1 min read मन मेरा देवालय सा हो गया बनी सांसे लए बांसुरी सी मेरी घर मानो संगीतालय सा हो गया पुष्प ऐसे खिले ना खिले थे कभी मन मानो पुष्पालय सा हो गया तुम जो आ बैठे हो... Hindi · मुक्तक 156 Share Pragya Goel 31 May 2022 · 1 min read ह्रदय संवाद बनना है शब्दों से मुझे हर ह्रदय का अहसास बनना है अक्षर तृप्ति प्रेम की अक्षर अक्षर प्यास बनना है आलौकिक काव्य निर्मित पुष्पमाल कर समर्पित हृदय भाव व्यक्त हो जिससे वो... Hindi · मुक्तक 130 Share Pragya Goel 19 May 2022 · 1 min read तू बरस के मुझपे देख मैं बादल बन जाऊं तु मेरा आसमा बन के देख मैं जमी बनू तुम्हारी तु बरस कर तो मुझ पे देख मैं ग़ज़ल बनू पिया जी ,जो तुम गुनगुनाओ मुझे... Hindi · मुक्तक 1 4 150 Share Pragya Goel 14 Feb 2022 · 1 min read धूप में जलना मैंने सूरज से मिलने की शाम के सीने में तड़प देखी है मैने झरने के सीने में पर्वत से बिछड़े की तड़प देखी है मुझे ऐहसास है पत्तों की तड़प... Hindi · मुक्तक 502 Share Pragya Goel 17 Jan 2022 · 1 min read बातों से संस्कार का पता चलता है देखना है ,कैसी है हुकूमत , तो आवाम से पूछो है कैसी ,सियासत ये कब दरबार में पता चलता है बाज़ार में जाओ तो व्यापार का पता चलता है और... Hindi · मुक्तक 1 2 267 Share Pragya Goel 13 Jan 2022 · 1 min read जय श्री राम का उद्घोष यूं तो मैं सभी धर्मो का सम्मान करती हूं पर बात जब हो स्वाभिमान की , तब मैं हिंदुत्व की बात करती हूं मेरे दिल को अल्लाह कोई बैर नही... Hindi · मुक्तक 1 241 Share Pragya Goel 31 Oct 2021 · 1 min read मैं नदियां हूं मैं नदिया हूं मुझे अविकल शान्त बहना हैं मिठास ही मेरे सौंदर्य का एकमात्र गहना है तू खार खार है मैं तुझमें मिली तो खो जाऊंगी ये फैसला कर लिया... Hindi · मुक्तक 1 2 208 Share Pragya Goel 27 Sep 2021 · 1 min read समन्दर सी फितरत सा बिछड़ा तो मोहब्बत का वहम दरमियां रहने दिया मुंह मोड़ के गुज़रा और दरिया-ए-मोहब्बत नजरों से बहने दिया समझी थी मैं जिसको फकत आसमान सा यारो था समंदर सी फितरत... Hindi · मुक्तक 399 Share Pragya Goel 25 Sep 2021 · 1 min read फिक्र मंद मल्लाह बेपनाह सिसकियां, बेचनियां,रोना, तड़पना , बिखरना, रुसवाईयां, और तुझी को आह लिखूं तू छोड़ दे शफिना मेरा भंवर में डूबने के लिए मैं तुझी को फिर भी फिक्र मंद मल्लाह... Hindi · मुक्तक 1 361 Share