पूनम झा 'प्रथमा' Tag: कविता 40 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid पूनम झा 'प्रथमा' 26 Mar 2024 · 1 min read कौन हूँ मैं ? कौन हूँ मैं ? मैं कौन हूँ ? ये है एक सवाल। आज तक स्वयं को ढ़ूंढ़ती रही, इस उलझन को सुलझाती रही, कहते हैं आईना सच बोलता है, खुद... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 1k Share पूनम झा 'प्रथमा' 6 Feb 2024 · 1 min read 10) पूछा फूल से.. पूछा फूल से,बिखरने के लिए खिलती क्यों है ? तोड़ लेता माली , तुझे फिर तू हँसती क्यों है ? * फूल ने हँसते हुए कहा ,तुम भी मुझे पाकर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 135 Share पूनम झा 'प्रथमा' 6 Feb 2024 · 1 min read 9) खबर है इनकार तेरा खबर है इनकार तेरा..... * झूठा निकला करार तेरा । फिर भी है इंतजार तेरा ।। * लाख समझाऊँ दिल को चाहे फिर भी दीदार तेरा । * माना जब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 198 Share पूनम झा 'प्रथमा' 6 Feb 2024 · 1 min read 8) दिया दर्द वो दिया दर्द वो, पर प्यार बेहिसाब माँगता है। दिया नहीं कभी कुछ, पर हिसाब माँगता है। . भरोसे को भी उसपर भरोसा करने का भरोसा नहीं पर वो है कि... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 226 Share पूनम झा 'प्रथमा' 6 Feb 2024 · 1 min read 7) पूछ रहा है दिल पूछ रहा है ये दिल ........ मालिक तूने ये क्या किया ? पूछ रहा है ये दिल तुझसे। हँसते थे जो बेपरवाह हम लोग, मुस्कुराना भी भुला दिया। मालिक तूने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 137 Share पूनम झा 'प्रथमा' 6 Feb 2024 · 1 min read 6) जाने क्यों जाने क्यों मन व्याकुल रहता है, क्या क्या ये सोचता है, कहूँ किससे ये कहाँ समझ आता है, बीच समन्दर में कश्ती जैसे हिचकोले खाता है, डर डरकर लहरों को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 117 Share पूनम झा 'प्रथमा' 4 Feb 2024 · 1 min read 5) कब आओगे मोहन कब आओगे मोहन --- ------- तेरे बिना सूना सूना सुन मेरे प्यारे कृष्णा। वृंदावन तुझे पुकारे गोपी तेरी राह निहारे सब बनी अब जोगन कब आओगे मोहन। * मन में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 2 138 Share पूनम झा 'प्रथमा' 4 Feb 2024 · 1 min read 4) धन्य है सफर धन्य है सफर ... आसान हो जाता है सफर जीवन का , मीत मिल जाता है अगर मन का । सफर रास्ते के हों या हों जीवन के , अगर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 168 Share पूनम झा 'प्रथमा' 1 Feb 2024 · 1 min read 3) मैं किताब हूँ 3) सुनो ! मुझे छोड़ कर कहाँ जा रहे हो ? तुम बिन मेरा अस्तित्व नहीं , एक-एक शब्द जुड़कर पंक्तियां बनकर मुझ पर छा जाते हो और मुझे एक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 167 Share पूनम झा 'प्रथमा' 31 Jan 2024 · 1 min read 2) भीड़ “भीड़” मन को अकेला जब हम पाते हैं अकेलापन दूर करने भीड़ में चले जाते हैं । भीड़ का हिस्सा तो जरूर बन जाते हैं पर भीड़ में तो मन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 161 Share पूनम झा 'प्रथमा' 30 Jan 2024 · 1 min read 1) आखिर क्यों ? पूरी जिंदगी हम भ्रम में गुजार देते हैं, फिर भी भ्रम को भ्रम नहीं समझते हैं, कभी अपना होने का हवाला देते हैं, तो कभी जिम्मेदारी का भुलावा देते हैं,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 5 2 139 Share पूनम झा 'प्रथमा' 15 Jul 2023 · 1 min read फितरत फितरत आदतें कहाँ कभी बदलती है, फूल कहाँ महकना छोड़ती है, अच्छे अच्छाई नहीं छोड़ता है, कपटी बुराई नहीं छोड़ता है, कभी-कभी जो बदलते हैं, उसे बदलना नहीं कहते हैं,... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 218 Share पूनम झा 'प्रथमा' 15 Jun 2022 · 1 min read पिता पिता घर के मजबूत स्तम्भ होते हैं पिता, बच्चों की ताकत हैं पिता, भविष्य की उम्मीद हैं पिता, संघर्ष की धूप में छत्रछाया हैं पिता, पथप्रदर्शक हैं पिता, कंटक भरी... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 5 431 Share पूनम झा 'प्रथमा' 3 Feb 2021 · 1 min read आओ अधरामृत पान करें "आओ अधरामृत पान करें " ------------------------ मैं छल प्रपंच न जानूँ प्रिये, उर प्रीत को ही मानूँ प्रिये, प्रणय अधर पर है लहराई मिलकर इसका सम्मान करें, आओ अधरामृत पान... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 10 51 671 Share पूनम झा 'प्रथमा' 30 Dec 2020 · 1 min read परिवर्तन परिवर्तन ...... आज ऐसे कैसे दिन हो गए, कि हम शब्द विहीन हो गए, समझाने के तरीके बदल गए, लापरवाह भी अब संभल गए, बच्चों को साथ रहना हम सिखाते... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 39 871 Share पूनम झा 'प्रथमा' 17 Jun 2019 · 1 min read "पिता" घर के मजबूत स्तम्भ होते हैं पिता, बच्चों की ताकत हैं पिता, भविष्य की उम्मीद हैं पिता, संघर्ष की धूप में छत्रछाया हैं पिता, पथप्रदर्शक हैं पिता, कंटक भरी राहों... Hindi · कविता 1 613 Share पूनम झा 'प्रथमा' 11 Nov 2018 · 1 min read माँ "माँ" बहुत देर से माँ तुमको मैं लिखना चाहूँ, मगर क्या-क्या लिखूँ, ये समझ न पाऊँ । कुछ शब्दों में माँ को बांधे, ये कलम को मैं कैसे समझाऊँ ?... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 39 1k Share पूनम झा 'प्रथमा' 6 Nov 2018 · 1 min read दीपक "दीपक" आज दीपक अपनी व्यथा सुना रहा है दिवाली में कभी घरों की छतों पर जगमगाता था, अपनी किस्मत पर वो इतराता था, घर-आंगन हो या हो मंदिर उसका ही... Hindi · कविता 3 1 370 Share पूनम झा 'प्रथमा' 26 Aug 2018 · 1 min read "राखी का त्यौहार" राखी का त्यौहार जब भी आता है, भाई-बहन को बचपन याद दिलाता है, इन कच्चे धागों में अटूट स्नेह समाया है, चाहे दूर हो या हो पास स्नेह से दूरियाँ... Hindi · कविता 1 495 Share पूनम झा 'प्रथमा' 17 Aug 2018 · 1 min read परमात्मा ऊपर वाले को ढ़ूंढ़ते मंदिर-मस्जिद में, जबकि बैठा है वो अपने ही दिल में । प्रेम-भाव से ही ईश्वर का नाता है, क्यों फिर मानव आडंबर अपनाता है । भूत,... Hindi · कविता 1 511 Share पूनम झा 'प्रथमा' 15 May 2018 · 1 min read "कुछ भी कह जाते हैं".......... जिसने कभी आंधी देखी नहीं , वे तूफान से लड़ने का हौसला सिखा जाते हैं । जो छोटी से छोटी तकलीफ में भी हाय-तौबा मचा देते हैं, वे दर्द में... Hindi · कविता 2 1 530 Share पूनम झा 'प्रथमा' 28 Jan 2018 · 1 min read "बसंत" पीत-पीत खेत खलिहान पीत वर्ण में शोभित उद्यान पीत चुनर वसुधा लहराये पीत वर्ण उसका परिधान । कलियों पर भौंरे मंडराए पुष्पों से पुष्पित हो रहा वीरान कोयल मधुर गीत... Hindi · कविता 1 586 Share पूनम झा 'प्रथमा' 2 Oct 2017 · 1 min read "विदाई" एक जन्म से विदा होकर मानव माँ के कोख में आता है, माँ का कोख छोड़ फिर दुनिया में कदम रखता है । * फिर कहीं आगमन तो कहीं विदाई... Hindi · कविता 1 595 Share पूनम झा 'प्रथमा' 19 Jul 2017 · 1 min read कब आओगे मोहन कब आओगे मोहन सुन मेरे प्यारे कृष्णा। तेरे बिना सूना सूना वृंदावन तुझे पुकारे गोपी तेरी राह निहारे सब बनी अब जोगन कब आओगे मोहन। * मन में सोच रही... Hindi · कविता 1 323 Share पूनम झा 'प्रथमा' 14 Feb 2017 · 1 min read " वेलेंटाइन डे " " वेलेनटाइन डे " ------ प्रेम के मायने जानता नहीं, वैलेनटाइन डे में डूब रहा शहर। . माँ की ममता है प्रेम, पिता की फिक्र है प्रेम, भाई का साथ... Hindi · कविता 2 1 304 Share पूनम झा 'प्रथमा' 3 Feb 2017 · 1 min read वसंत ऋतु............ वसंत ऋतु ---- वसंत ऋतु जब आये पुष्प पुष्प मुस्काये पीतांबरी में वसुंधरा देख गगन भी हर्षाये ये ॠतु मधुमास कहाये। * आम में मंजरी आये महुआ मादकता फैलाये कूके... Hindi · कविता 1 636 Share पूनम झा 'प्रथमा' 26 Jan 2017 · 1 min read जय हिन्द जय भारत " वन्दे मातरम " ---------------- तिरंगा ऊंचा रखना धर्म हमारा है। तिरंगे की रक्षा करना कर्म हमारा है। नमन उन वीरों को मातृभूमि के खातिर किया खुद को कुर्बान, वीरों... Hindi · कविता 2 1 430 Share पूनम झा 'प्रथमा' 19 Jan 2017 · 1 min read " खेल शब्दों का " शब्द से मिले गर मान सम्मान , तो कहीं शब्द करा दे अपमान । शब्द बिगाड़े कहीं काज , तो शब्द बना दे कहीं बिगड़े काज । कोई शब्दों के... Hindi · कविता 3 1k Share पूनम झा 'प्रथमा' 10 Jan 2017 · 1 min read " बेटियां "............. " बेटियाँ " ------------ ये पूछो मत मुझसे क्या होती है बेटी न शब्द न परिभाषा में बंधती है बेटी। * चिड़िया नहीं, ममता से भरी मानव है हँसते हुए... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 2 1 1k Share पूनम झा 'प्रथमा' 9 Jan 2017 · 1 min read ** क्या से क्या हो गई ?** क्या से क्या हो गई ? ------------------- छोटी थी, किसी की लाडली थी । हँसती थी, खिलखिलाती थी , क्यूं में बड़ी हो गई ? * आँखों में सपने थे,... Hindi · कविता 2 1 669 Share पूनम झा 'प्रथमा' 7 Jan 2017 · 1 min read क्यूँ ऐसी हूँ --------- क्यूँ ऐसी हूँ -------- * उफ्फ: थक गई सबका मन रखते रखते। खुद को भी भूल गई सबको खुश करते करते। * जाऊँ तो जाऊँ कहाँ ठौर भी तो यहीं... Hindi · कविता 1 548 Share पूनम झा 'प्रथमा' 19 Dec 2016 · 1 min read तेरे आने की ख़ुशी में .......... तेरे आने का जो पैगाम आया है हर्षित पुलकित मन मुस्काया है गुल खिले देखो गुलशन गुलशन फिजां ने खुशबू से महकाया है। * बहारें सुर संगीत बनाए कोयल मीठी... Hindi · कविता 283 Share पूनम झा 'प्रथमा' 17 Dec 2016 · 1 min read " जीवन धारा " बहती नदी की धारा को देख लगा , क्या अंतर जीवन और इस धारा में । आगे बढ़ती जाती नदी भी , और बढ़ती जाती जीवन भी। न जाने नदी... Hindi · कविता 427 Share पूनम झा 'प्रथमा' 17 Dec 2016 · 1 min read अस्तित्व " अस्तित्व " कौन समझता है नारी को ? बस आदर्श बना डाला है नारी को। अपना जीवन औरों पर न्यौछावर करती है नारी । औरों की खुशियों में अपनी... Hindi · कविता 1 2 572 Share पूनम झा 'प्रथमा' 8 Dec 2016 · 1 min read " जुबां दिल की ....." " जुबां दिल की ....." जुबां दिल की इतनी है जटिल , कि उसे समझना है मुश्किल। है "दिल" जुबां गर समझ जाता , एक दिल है मुस्कुराता , तो... Hindi · कविता 214 Share पूनम झा 'प्रथमा' 7 Dec 2016 · 1 min read " पाती उनके नाम "......... प्रेम पाश में बाँधा तुमने जो सजना। छोड़ दिया बाबुल का हमने वो अँगना। कदम से कदम मिला लिया साथ आपके चलने को , देकर हाथ हमने तो अपना। प्यार... Hindi · कविता 518 Share पूनम झा 'प्रथमा' 30 Nov 2016 · 1 min read " बीती बातें " " माना कि जो बीत गई " बीती बातें " " माना कि जो बीत गई सो बात गई , " पर बीती बातों को याद न रखूं , तो आगे कैसे बढ़ूं ? प्रेरक होते... Hindi · कविता 606 Share पूनम झा 'प्रथमा' 28 Nov 2016 · 1 min read ए मालिक किनारा लगा देना ए मालिक किनारा लगा देना जिंदगी को बिना जाने चलते चले गए जब होश आया तो बहुत आगे निकल चुके थे मुरकर पीछे जाना मुमकिन नहीं पर राह आगे की... Hindi · कविता 306 Share पूनम झा 'प्रथमा' 24 Nov 2016 · 1 min read " अनुभव " . समय के साथ जो एहसास कराता है " अनुभव " . समय के साथ जो एहसास कराता है वो है अनुभव , सुख और दुःख तो आता जाता है पर दे जाता है अनुभव । . वक्त... Hindi · कविता 395 Share पूनम झा 'प्रथमा' 18 Nov 2016 · 1 min read " तितली और नन्ही हथेली " ---------------------- अहा ! रंग बिरंगी तितलियाँ । " तितली और नन्ही हथेली " ---------------------- अहा ! रंग बिरंगी तितलियाँ । अहा ! सुंदर सुंदर तितलियाँ ।। सहसा मन में बोल पड़ी । तितली के संग वह दौड़... Hindi · कविता 1 2 665 Share