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17 Dec 2016 · 1 min read

” जीवन धारा “

बहती नदी की धारा
को देख लगा ,
क्या अंतर जीवन और
इस धारा में ।

आगे बढ़ती जाती
नदी भी ,
और बढ़ती जाती
जीवन भी।

न जाने नदी कितने चट्टानों
से है टकराती ,
जीवन भी कितने दु:ख दर्द
को सहती जाती।

फिर भी दोनों चलती जाती ।

क्या अंतर जीवन और
नदी की धारा में ?

दोनों ही तो बस चलती जाती
आगे बढ़ती,जाती बढ़ती जाती।

@पूनम झा |कोटा ,राजस्थान
************************

Language: Hindi
390 Views
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