प्रवीण माटी 23 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रवीण माटी 19 Jan 2022 · 1 min read बदलाव स्वयं में उभरती हीनता को तोड़ मरोड़ कर जीवन का अर्थ समझ आए शायद! इस वजह से कि कोई भी किसी को उसके अनुकूल समझता ही नहीं! दूसरी वजह शायद... Hindi · कविता 218 Share प्रवीण माटी 19 Jan 2022 · 1 min read नाम मेरा महाराणा नहीं है स्वीकार मुझको हार हृदय तंत्रिकाओं से जुड़ा मेरे देश का ताना-बाना नाम मेरा महाराणा मां रणचंडी की शपथ लूंगा मेरी धरा की दूब भी ना लेने दूंगा वार... Hindi · कविता 227 Share प्रवीण माटी 9 Jan 2022 · 1 min read जीत जीत की ललकार है खून मार रहा उबाल उठा लो तुम अपनी ढाल युद्ध का उद्घोष हो तलवारों में जोश हो रक्त रंजित धरा क्रोध हुआ प्रचंड अहंकार अरि का... Hindi · कविता 379 Share प्रवीण माटी 8 Jan 2022 · 1 min read चाह ढलने लगा दिन ,जगने लगी रात आ जा रै मोरे बालम आ जा रै मोरे बालम कर ले तूँ दिल की बात साथी है मेरा बादल साथी है मेरा अंबर... Hindi · गीत 1 468 Share प्रवीण माटी 8 Jan 2022 · 1 min read याद उनकी शरद की ठिठुरन साथ दे रही हिमालय से आती ठंडी हवाएं कह रही छत पर बैठे क्यों अकेले? क्या किसी की याद आई!!! ना आसमां में चाँद की रोशनी ना... Hindi · कविता 187 Share प्रवीण माटी 6 Jan 2022 · 3 min read कोई किसी का नहीं यहां कोई किसी का नहीं यहां, सब किरदार निभाने आए हैं देख कोई बुझा-बुझा ,कोई रहता है जलता इन्ही जलते-बुझते रिश्तों में कहीं दूर है एक ख्वाब पलता देखा रहा हूँ... Hindi · गीत 1 2 300 Share प्रवीण माटी 6 Jan 2022 · 1 min read क्या? फरेबी है दुनिया, यहाँ एहसासों की बात क्या? मुखौटा पहने लोगों से बेवजह मुलाकात क्या? दिल है! आखिरकार समझ ही जायेगा वक्त को बिन तारों के जगाये जो वो स्याह... Hindi · मुक्तक 233 Share प्रवीण माटी 8 Dec 2021 · 2 min read गड्डे ज्यादा अच्छे हैं गड्डे ज्यादा अच्छे हैं शहर की सड़क को गांव से जोड़ने वाला रास्ता आज भी कच्चा है, हाँ ! शहर होने के बाद अक्सर गांव, गलियों तालाब को अनाथ ही... Hindi · कहानी 1 372 Share प्रवीण माटी 5 Dec 2021 · 1 min read ये कैसा इंसान हो रहा है! तू छोटा मैं बड़ा का घमासान हो रहा है समझ में नहीं आता ये कैसा इंसान हो रहा है जोड़ तोड़ कर पैसा कमाया बहुत ज़्यादा मुद्दा उसका बस रुपया... Hindi · कविता 203 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read मां आस है मेरी ये माँ जो है आस है मेरी टूटती नहीं कभी वक्त पर आती है बिछौना,खिलौना, पानी,खाना लेकर अपने जख्मों को गुनगनाकर मरहम लगाती है मेरे सपनों की... Hindi · कविता 2 380 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read मैं चला हूं दूर क्षितिज पर मंजिल है मैं चला हूं छूने अपनी मंजिल जब कदम साथ हो तो डरने की क्या बात हो गवाही देगा कंठ मेरा पीड़ा सही बहुत मगर कभी... Hindi · कविता 2 496 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read बेटी सोच में पड़े हैं लोग ये कैसा इम्तिहान है दिल पर हाथ रख कर देखो ! बेटी भी एक वरदान है कभी भी अलग नहीं छोड़ना, देना उस को प्यार... Hindi · कविता 2 374 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read जवाब सुनो मुलाक़ात में बात हुई हमारी मगर जवाब नहीं मिला तब से लेकर आज तक रातों में मुझे कोई ख्वाब नहीं मिला इतना अस्त-व्यस्त हो गया हूँ अनसुलझी उलझनों में... Hindi · मुक्तक 1 274 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read हिसाब मुझे अभी मत लेकर जाना मुझे एक जवाब चाहिए कोने में मेज पर रखी वो मुझे मेरी किताब चाहिए मेरा कातिल यहीं है इस भीड़ में जो मेरे पास खड़ा... Hindi · मुक्तक 331 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read भिखारी तुम्हारी दौलत से ज्यादा परेशानियां है मेरी गिर जाओगे मेरा किरदार निभाते - निभाते एक रोज कभी जब बैठोगे मेरे पास तुम लोग शायद शाम कर दूंगा मैं तुम्हें वो... Hindi · मुक्तक 344 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read वक्त ये वक्त किसी का नहीं होता है वक्त के सब होते हैं किस पल किसी समय पता नहीं कब जिंदगी दामन छोड़ दें और कब मौत हाथ थाम कर ले... Hindi · कविता 459 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 1 min read आवारा रहने दो ना बांधो मुझे बंदिशों में मुझे आवारा रहने दो परे रखो साजिशों को मुझे आवारा रहने दो मुझे आवारा रहने दो नहीं चाहिए शोहरत आसमान की नहीं आरजू चमकती-दमकती रात... Hindi · कविता 1 4 212 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 2 min read मैं मौन अपाहिज सा गुजर जाता हूं मैं मौन उस फुटपाथ से उस फ्लाईओवर के नीचे से और बहुत सारे मेट्रो स्टेशन से अपाहिज सा गुजर जाता हूं मैं मौन जब चलता... Hindi · कविता 2 187 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 1 min read सुनने वाले जब मेरी पहली किलकारी लगी उस पुराने पड़े रेल के डिब्बे में मैं जानता हूं आसपास सुन रहे थे सब जब बचपन में दो कदम रखे फैलाए रोटी के लिए... Hindi · कविता 2 556 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 1 min read बड़ी शादी बहुत बड़ी है शादी महोदय, बहुत बड़ा पंडाल। फेंक देते हैं सब कुछ आखिर,बची हुई जो दाल।। बची हुई जो दाल, काश!किसी के मुंह तो लग जाती। पैसे वालों की... Hindi · मुक्तक 3 6 439 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 1 min read मोबाइल "रिंकू की माँ किचन से आवाज देती है, "रिंकू बेटा अपने दादा जी के पास थोड़ी देर बैठ जा ,तब तक मैं उनके लिए खिचड़ी बना दूं , हाँ! वो... Hindi · लघु कथा 443 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 1 min read कवि कौन है? कवि कौन है? कवि कौन है ? ये कवि कौन है ? राजनिति की बलि जो चढते भ्रष्टाचार की धुरी जो मढते गुलाम जो बड़े बड़े घरों के जो करते... Hindi · कविता 2 4 214 Share प्रवीण माटी 1 Dec 2021 · 1 min read मेरा देश है भारत मेरा देश है भारत ,मैं शीश झुका के गाऊँ वारों की इस धरती पे ,पुष्प हैं खिलते आये हुआ विवेक महान यहाँ ,गांधी जी अंहिसा लाये महिमा जाने जग ये... Hindi · गीत 1 218 Share