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2 Dec 2021 · 1 min read

बड़ी शादी

बहुत बड़ी है शादी महोदय, बहुत बड़ा पंडाल।
फेंक देते हैं सब कुछ आखिर,बची हुई जो दाल।।

बची हुई जो दाल, काश!किसी के मुंह तो लग जाती।
पैसे वालों की भीड़ में,वो भूखी बुढ़िया कैसे आ पाती।।

वो भूखी बुढ़िया कैसे आ पाती,कम हो जाती उनकी शान।
रसूखदारों की टोली में, अब उनका जो हो जाता अपमान।।

उनका जो हो जाता अपमान, आबो-हवा में गुस्सा कर जाते।
क्या-क्या बनवाया है पकवान, पकड़कर सबको कैसे दिखाते।।

पकड़कर सबको कैसे दिखाते,कैसे संभालते अपना हाल।।
झूठी प्रतिष्ठा की चकाचौंध में, उन्होंने फिंकवा दी सब दाल।।

प्रवीण माटी

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 395 Views
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