Omendra Shukla Tag: कविता 46 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Omendra Shukla 2 Feb 2017 · 1 min read जीवन संघर्षो भरा है “भाग उठा होके परेशान जीवन के झंझावातों से दर्द बहुत है इस जीवन में हर पल चुभते है काँटों से , छोटी बातें,अधूरी यादें सब छूट यहाँ पे जाते है... Hindi · कविता 312 Share Omendra Shukla 2 Feb 2017 · 1 min read अध्यात्म विमुख होता जग “एक दुविधा सी मन में उठती है दिल असमंजस से भर जाता है ज्ञान की डोली में जब कोई विद्या की अर्थी छोड़ जाता है , करके शिक्षा का उद्यमीकरण... Hindi · कविता 369 Share Omendra Shukla 2 Feb 2017 · 1 min read ।।गणतंत्र बना गवारतंत्र ॥ “गणतंत्र बन गया गँवारतंत्र अब कुछ लोगो के कुंठित विचारों से सच्चाई कर रही मुजरा कोठे पे अंधे कानून के उन राहों पे , हो गया बहुत ही बड़ा अर्थ... Hindi · कविता 429 Share Omendra Shukla 2 Feb 2017 · 1 min read वीर हिन्द के वासी हम “हम वीर हिन्द के वासी है हमसे ना टकराना तुम हो जाओगे खण्ड-खण्ड प्रतिखण्ड हमसे ना टकराना तुम, क्या भूल गए उस सागर को एक घूंट में पी डाला था... Hindi · कविता 229 Share Omendra Shukla 2 Feb 2017 · 1 min read गणतंत्र मुबारक हो तुमको "हर चौराहे पे जहां सीता लुटी जाये और चंद रुपयो मे वर्दी बीक जाये नेताओ के ऐश मे देश बलि हो जाये वह गणतंत्र मुबारक हो तुमको , जहां गरीब... Hindi · कविता 309 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read एक कविता भारतीय सेना के नाम "आज कुत्तो ने शेरो को छेडा है शेरो कि मांद मे किया बसेरा है बहुत हो गया है अब भाईचारा सब्र का बांध अब तोडा है, टुट पडो अब इन... Hindi · कविता 1 1k Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read बिकाऊ मिडीया "सुबह-सुबह वो अखबार के पन्ने कुछ नये समाचार ले आते है खाली पडे इस मन मे फिर से वो ढेर सारी बाते भर जाते है, कहीं आतंक के मुद्दे है... Hindi · कविता 411 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read मेरे सपनो का विजय पर्व "किस जीत कि हम बात करे और कौन सा विजय मिल पाया है ना तो बुराई मिटी है यहा अभी और ना सच जिन्दा रह पाया है, मासुम चेहरोे मे... Hindi · कविता 228 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read कटघरे मे जीवन है कटघरे मे जीवन "मन हि मन है अब नाराज यहां ना मन का कुछ कर पाता हू जीवन जीने कि लालसा लेकर खुद से हि पराया हो जाता हू, रोज... Hindi · कविता 289 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read मजदुर हूं मै,मजबुर नही "जीवन कण्टक भरा है मेरा ना हार मै कभी मानने वाला हर दर्द मै सहके जी लेता हू मजदुर हू मै, मजबुर नही , सिमटके रह जाती है कहानी अक्सर... Hindi · कविता 237 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read विमुद्रिकरण जिस मुद्रा के खातिर, बदले थे तेवर हमने आज उसीने छिन लिये हमसे हि तेवर अपने, भूल गये थे सब रिश्ते नाते जग से था मुह मोड लिया खत्म हुआ... Hindi · कविता 425 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read भारत कि तस्वीर "फटे पूराने कपडो मे,वो बाहर घुमके आता है गरीबी नाचती रहती है,और वो भूखा सो जाता है, तरसती हुयी निगाहे,दो रोटी के निवाले को सुबह से होती सांझ,जीन्दगी के सवालो... Hindi · कविता 319 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read बदलता परिवेश और परिवार "समय बदला,बदले रिश्ते और बदला घरबार है दुनिया बदली,जहां है बदला और बदला परिवार है, गुजरे वो दिन यारो जब घर छोटे बन पडते थे रिश्तो मे था प्यार और... Hindi · कविता 1k Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read वृक्ष हमारे जीवनसाथी "दर्द से शिथिल इस दुनिया मे कौन है मेरा नाम ये तो मेरी माटी जाने अथवा जाने राम, ना सुख कि मै आस करु ना करु किसी से कभी मै... Hindi · कविता 278 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read "नया वर्ष मंगलमय हो " "हर साल आते है ,ये नये साल आते है पूराने छुट जाते है,नये सब साथ आते है नये वादे,नये इरादे,नये रिश्तो का संगम हो रखो ध्यान कभी पूराने कि अहमियत... Hindi · कविता 224 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read "बेटियाँ पराया धन होती है ||” “नन्हे-नन्हे क़दमों से घुटनों के बल तेरा चलके आना बैठ गोंद में मेरी फिर चंचलता अपनी फैलाना , अपने नन्हे-नन्हे हाथो से चेहरे पे थपकियाँ देना कान पकड़ना ,नाक नोचना... Hindi · कविता 454 Share Omendra Shukla 18 Jan 2017 · 1 min read "बेटियाँ पराया धन होती है ||” “नन्हे-नन्हे क़दमों से घुटनों के बल तेरा चलके आना बैठ गोंद में मेरी फिर चंचलता अपनी फैलाना , अपने नन्हे-नन्हे हाथो से चेहरे पे थपकियाँ देना कान पकड़ना ,नाक नोचना... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 492 Share Omendra Shukla 14 Jan 2017 · 1 min read ||बचपन की याद दिलाता है || “वो बचपन के भी क्या दिन थे वो पापा की डांट,माँ की दुलार और दादी का प्यार वो पीपल के वृक्षों पर गिद्धों का मंडराना चहक-चहक चिड़ियों का गीत सुनाना... Hindi · कविता 362 Share Omendra Shukla 14 Jan 2017 · 1 min read ||खादी ,खाकी और मीडिया || “हुयी मुलाकात खाकी और खादी की नीलामी के बाजार में हाल पूछ एक दूजे का हुए मशगूल शब्दों के व्यापार में, सबसे श्रेष्ठ हु मै अब भी किया है गुलाम... Hindi · कविता 484 Share Omendra Shukla 14 Jan 2017 · 1 min read ||मेरी नन्ही परी || “नन्हे नन्हे क़दमों से अपने वो पास जो दौड़ी आती है लग गले से वो मेरे फिर किस्से सभी सुनाती है, मम्मी की डांट,दादी का प्यार हस हंसके मुझे बताती... Hindi · कविता 4k Share Omendra Shukla 14 Jan 2017 · 1 min read ||बदलते गांव और हम || “सहसा कुछ बीते वर्षों में देखो कैसे बदले है गांव होते थे खेत खलिहान कभी जहाँ आज कारखाने लगे पड़े है वहां , प्रदुषण को नित्य बढ़ाते है तरह-तरह के... Hindi · कविता 249 Share Omendra Shukla 14 Jan 2017 · 1 min read ||संघर्षो भरा जीवन || “भाग उठा होके परेशान जीवन के झंझावातों से दर्द बहुत है इस जीवन में हर पल चुभते है काँटों से , छोटी बातें,अधूरी यादें सब छूट यहाँ पे जाते है... Hindi · कविता 248 Share Omendra Shukla 14 Jan 2017 · 1 min read ||गणतंत्र और गँवारतंत्र || “गणतंत्र बन गया गँवारतंत्र अब कुछ लोगो के कुंठित विचारों से सच्चाई कर रही मुजरा कोठे पे अंधे कानून के उन राहों पे , हो गया बहुत ही बड़ा अर्थ... Hindi · कविता 390 Share Omendra Shukla 14 Jan 2017 · 1 min read ||देशहित के लिए खुद में परिवर्तन जरुरी || “हर साल बदलते जाते है हम कैलेंडर नए -नए से घर में ना सोचा कभी है हमने कुछ बदलाव करने की खुद में , देख समाचार देश दुनिया के रोज... Hindi · कविता 484 Share Omendra Shukla 14 Jan 2017 · 1 min read ||टुटा दिल || “आज फिर से ये वक्त कुछ बेरहम सा लगता है क्यूँ बसंत का मौसम ये पतझड़ सा मुझको लगता है , क्यूँ महफ़िलों में छाया है तन्हापन क्यूँ संगीत बेसुरा... Hindi · कविता 303 Share Omendra Shukla 14 Jan 2017 · 1 min read ||एक विद्यार्थी का माँ को सन्देश || “माँ नहीं पढ़ना है मुझको अब ना विद्यालय मै जाऊंगा अनपढ़ रहना है अच्छा ना गाली तुझे मै दिलाऊंगा, पढ़-लिखके लोग जहाँ पे अपने ही देश को गाली देते है... Hindi · कविता 236 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||इश्क़ की राह || “कुछ यादें सुनी सुनी सी रोती है अब भी दिल में कुछ वादे तन्हा तन्हा से बिखरे पड़े है लब पे, यादों की उन शाख पे फिर से कुछ फूल... Hindi · कविता 1 236 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read “तुम थे ना कभी वादों में मेरे” “तुम थे ना कभी वादों में मेरे ना ही थे कभी इरादों में क्यों आया दिल सहसा तुमपे चंद मीठी मीठी बातों में , क्यूँ जीना बनता है गद्दारी बिन... Hindi · कविता 225 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||बेवफा इंसान || “कैसे करे उम्मीदे वफ़ा हम हर शख्स यहाँ बेवफा होता है होता है जो दिल के पास बहुत खंजर वही चुभोता है, हर दिल बेवफा हुआ यहाँ है हर शक्ल... Hindi · कविता 358 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||इश्क़ का दर्द || “तुम जब जब याद आओगे हरदम मुझको तड़पाओगे बसे हो जो तुम यादों में मेरे हर लम्हा ख़ामोशी बढ़ाओगे , टूटे वादे ,रूठे किस्से नए अरमान कौन सजाएगा यादों की... Hindi · कविता 1 488 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||पुराने प्रेम की दस्तक || “सालों लगे भुलाने में तुमको फिर से याद तुम क्यूँ आये हो पत्थर दिल कर गए थे जिसको उससे मंदिर नए बनाये है , यादों की चिता में जली हु... Hindi · कविता 192 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||प्रेम की बगावत || “बिन तेरे सबकुछ हारा हूँ मै गम का तेरे मारा हूँ सुना-सुना है हर लम्हा यादों में हर पल गुजारा हूँ जब प्यार अकेला हो जाता है बिन प्रेमी संग... Hindi · कविता 419 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||कागज के टुकड़े || “कहते है तस्वीरें होती है कागज की पर ताकत बहुत होती है इनमे कहीं पत्थर दिल में प्रेम आभास तो कहीं आँखे होती है नम इनसे , वो भूली पुरानी... Hindi · कविता 297 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||अधूरी मुलाकात || “बेहिचक उन गलियों की ओर आँखे फिर से खीच जाती है आना जाना तेरा होता था जिनमे कभी उन क़दमों के निशां में खो जाती है पाने को एक झलक... Hindi · कविता 226 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||अधूरे ख्वाब || “एक ख्वाब लिए आखों में जिन्दा पुतले ढल जाते है पुरे करने को हर ख्वाब हमारे रह जाते है खुद के ख्वाब अधूरे बसती है ख्वाबों की एक दुनिया फिर... Hindi · कविता 866 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read अजनबी “मुद्दतो से दबे थे राज जो दिल में उन्हें बहकने से कैसे रोक पाता बड़ी हसरते थी उस खुद्दार दिल की उन्हें बंदिशों में कैसे रख पाता, वफ़ा का नाम... Hindi · कविता 241 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||तन्हापन || “लगा है आज अपनापन फिर छूने इन तन्हाईयों को समेट तन्हा सासों की डोर कर वीरान फिर इस जीवन को कहता कहानी आज फिर इस पतझड़ से जीवन की तस्वीरों... Hindi · कविता 396 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read “||अधूरा इश्क़ 2 ||” “क्यूँ ख़ामोशी सी छा जाती है क्यूँ तनहा सा हो जाता हूँ कभी प्यार में पागल होता हूँ तो कभी पागल प्रेमी हो जाता हूँ , देख तुझे तस्वीरों में... Hindi · कविता 346 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||तनहा मौसम और तुम || “काश |तुम्हे भुलाना आसान होता तेरी यादों को मिटाना आसान होता ना होती फिर तकलीफ कभी जो तन्हाई को निभाना आसान होता , ना करते हम प्यार कभी जो दिल... Hindi · कविता 2 1 430 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||प्यार की आशा|| “महका करते थे गुलसन में जो फूल कभी अरमानों के रूठे है वो आज खुदी तेरे नापाक बयानों से , टुटा है हर जर्रा अब तो तेरे इश्क की दीवारों... Hindi · कविता 329 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||अधूरा इश्क || “ना दूर जा ऐे मुसाफिर तू छोडके मुझे तन्हा अकेला मै रह जाऊंगा बिछडके फिर तुझसे कैसे तेरी यादों में मै जी पाउँगा होगा बदनाम हर जर्रा मोहब्बत का तस्वीरों... Hindi · कविता 285 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read || तन्हाई || ” दर्द छिपा है तन्हाई में लोग समझ ये पाये ना है आखों को अभी-भी इंतजार उनका लोग समझ ये पाये ना, बहे बेशक आंसू उनके पर आँखे उनमे मेरी... Hindi · कविता 262 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read आज फिर से गर्दिशों का आलम है आज फिर से गर्दिशों का आलम है वक़्त की तन्हाई में जिंदगी का आज फिर मातम है उठ रहे बेशुमार हाथ आज दुवाओं में कल तक जो थे इस रूह... Hindi · कविता 174 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read गुजर रहा देश अन्याय की ताफ्तिशों से गुजर रहा देश अन्याय की ताफ्तिशों से लूटता,खसोटता हर कोई अपने ही तरीको से इंसाफ दिला पाउँगा जिस दिन इसे मै तब जाके सफल जीवन मेरा होगा | भूख से... Hindi · कविता 429 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read अपने ही सपनो के नवाब बन बैठे थे कभी अपने ही सपनो के नवाब बन बैठे थे कभी ख्वाव्बों का एक बाग़ बून बैठे थे कभी गफलत हुई इन निगाहो का जाम बून बैठे थे कभी, अश्को को कुछ... Hindi · कविता 469 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read टूटे दिल नहीं जुड़ते टूटे धागे जुड़ जाते है पर टूटे दिल नहीं जुड़ते टूटे धागे जुड़ जाते है पर टूटे दिल नहीं जुड़ते साज वफ़ा के मिल जाते है पर टूटे साज नहीं... Hindi · कविता 583 Share